शिव के मजाक से नाराज हो गई थीं पार्वती, फिर संसार ने देखी तबाही
एमपी के उज्जैन में स्थित कलकलेश्वर महादेव मंदिर से एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है. माना जाता है कि माता पार्वती एक बार मंडप में मातृकाओं के साथ बैठी थीं. उनके बीच में उनका रंग दबा हुआ लग रहा था. तब भगवान शंकर ने कहा कि, हे महाकाली ! तुम मेरे पास आकर बैठो. मेरे गौर शरीर के पास बैठने से तुम्हारी शोभा बिजली की तरह होगी, क्योंकि मैंने सफेद रंग के सांपों के कपड़े पहने हैं और साथ ही चंदन भी लगाया है.
ऐसे में यदि तुम रात्रि के समान काली मेरे पास बैठोगी तो मुझे नजर नहीं लगेगी. शंकर जी की ये बात सुनकर माता पार्वती नाराज हो गईं. उन्होंने शिवजी से कहा, आपने जब नारद जी को मेरे पिता के पास मुझसे विवाह करने का प्रस्ताव लेकर भेजा था, तब क्या आपने मेरा रूप रंग नहीं देखा था .
इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती के बीच लड़ाई शुरू हो गई. दोनों के इस विवाद के बढ़ने पर तीलों लोकों में प्राकृतिक आपदाएं आने लगीं. पंचतत्व, अग्नि, वायु, आकाश और पूरी पृथ्वी में असंतुलन होने लगा और चारों तरह हाहाकार होने लगा. ये सब देखकर देवता, असुर, आदि सभी भयभीत हो गए.
इसी कोलाहल से पृथ्वी में से एक दिव्य लिंग प्रकट हुआ जिसमें से निकली वाणी ने कहा कि इस लिंग की पूजा करें जिससे शिव-पार्वती के बीच का कलेश और कलह दूर हो जाएगा. तब देवताओं ने इस लिंग का पूजन किया जिसके बाद माता पार्वती का गुस्सा शांत हुआ और एक बार फिर स्थिति सामान्य हुई. इसके बाद से ही इस दिव्य लिंग को कलकलेश्वर महादेव के रूप में जाना जाता है.
मान्यता है कि कलकलेश्वर महादेव के दर्शन करने से पति-पत्नी के बीच कलह, कलेश आदि नहीं होता है और घर में शांति बनी रहती है. ऐसा भी माना जाता है कि यहां पूजा करने से व्यक्ति का सांप और आग का डर भी दूर हो जाता है.