जीवनशैली

शिशु को टॉयलेट ट्रेनिंग देते हुए रखें ख्याल, जानें कब और कैसे करें शुरु?

जीवनशैली : जब शिशु एक साल से ऊपर का हो जाए तो उसे टॉयलेट ट्रेनिंग देने की शुरुआत कर देनी चाहिए। हालांकि शुरू-शुरू में बच्चा पॉटी सीट का प्रयोग करने में रूचि नहीं दिखाएगा, मगर धीरे-धीरे वह इसकी दिनचर्या का हिस्सा हो सकता है। आमतौर पर कई पैरेंट्स को लगता है कि शिशु खुद से शौचालय में मूत्र या मलत्याग करना आ जाएगा, मगर ऐसा नहीं है। 18 महीने से तीन साल के बीच का हो जाने तक शिशु शारीरिक या भावनात्मक तौर पर इस तरह खुद शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए तैयार नहीं होते। मूत्राशय को नियंत्रित करने की क्षमता 18 महीने से दो साल के बीच विकसित होती है। टॉयलेट ट्रेनिंग का मतलब होता है कि शिशु को खुद टॉयलेट का इस्तेमाल करना सीखाना।
संकेतो का इस्तेमाल करें : जब भी आपका शिशु मल या मूत्रत्याग करे आप किसी विशेष संकेत का इस्तेमाल करें और हर बार सुसु या पॉटी जैसे शब्दों को बोलें। आपका शिशु जल्द ही मल या मूत्रत्याग को उस संकेत को समझने लगेगा। शायद बोलना शुरु करने से पहले ही वह इस संकेत के जरिये आपको बता सकता है कि उसे पेशाब या पॉटी करना है। ये संकेत बहुत आसान होने चाहिए, जैसे कि पैरों के बीच जमीन की तरफ या अपने नितंबों की तरफ इशारा करना। जब आपका शिशु इन संकेतों को दोहराने लग जाए, तो उसे तुरंत शौचालय ले जाएं।


नियमित शौचालय ले जाएं : सुनिश्चित करें कि आप नियमित अंतराल पर शिशु को शौचालय ले जाएं, जैसे कि हर आधे या एक घंटे में। इस तरह उसे शौचालय का इस्तेमाल करने की आदत होगी और धीरे-धीरे वह शौचालय को मल या मूत्रत्याग से जोड़कर देखने लगेगा।
वॉशरुम सेटिंग भी समझाएं : टॉयलेट ट्रेनिंग देते वक्त बच्चों को वॉशरूम सेटिंग समझाना शुरू करें। जैसे कहां हाथ धोने हैं और कहां फ्रेश होने के लिए जाना है। इसके अलावा बच्चे को जो डायपर पहनाया गया है अगर वह दो घंटे तक सूखा हुआ है तो इसका मतलब यह है कि वह अपने बॉडी फंक्शन्स को कंट्रोल करना सीख गया है। इसके अलावा अगर वह आपको इशारों में बता रहा हो कि उसे वॉशरूम जाना है तो उसे टॉयलेट की ट्रेनिंग दें। इन बातों का रखे ध्यान टॉयलेट की ट्रेनिंग देते वक्त सबसे पहले इस चीज का पता कर लें कि बच्चा चलने लगा है कि नहीं और वह कुछ देर के लिए एक जगह बैठ सकता है कि नहीं। यदि वह ऐसा करने में सक्षम है तो उसे टॉयलेट की ट्रेनिंग दें। इसके अलावा ट्रेनिंग देने से पहले यह भी ध्यान रखें कि आपका बच्चा कुछ काम अपने से करने लगा है या नहीं जैसे कि खुद चम्मच से खाना खाना। कुछ चीजों के लिए तैयार रहें शिशु का अप्रत्याशित व आकस्मिक मल या मूत्रत्याग कर देना टॉयलेट ट्रेनिंग की प्रक्रिया का ही हिस्सा है। इसलिए उसके कपड़े बदलने और उसे साफ करने के लिए तैयार रहें, खासकर कि शुरुआती चरण में। अचानक मल या मूत्रत्याग कर देने पर शांत प्रतिक्रिया दें, इससे आपको चाहे कितनी भी परेशानी हो, मगर इसके बारे में शिशु को डांटे न। इसके अलावा हो सकता है कि आपको अपने टॉयलेट में रखें कुछ सामान इधर उधर मिले या बिखेरा हुआ मिले।

Related Articles

Back to top button