नई दिल्ली । दिल्ली में बतौर मुख्यमंत्री 15 साल तक लगातार एकछत्र राज करने वालीं शीला दीक्षित के निधन के तीन दिन बाद भी दिल्ली कांग्रेस में चल रही गुटबाजी पर विराम नहीं लगा है। मरहूम शीला दीक्षित गुट के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी मौत से तीन दिन पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम एक पत्र लिखा था। सूत्रों का कहना है कि शीला ने अपने पत्र में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान हालात और गुटबाजी के बारे में खुलकर लिखा था। हालांकि, इस पत्र के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी को लिखे इस खत में शीला दीक्षित ने राज्य प्रभारी पीसी चाको के साथ चल रहे सियासी टकराव का जिक्र किया था। शीला ने पार्टी के एक बड़े नेता को इन सबका जिम्मेदार बताया था।
शीला दीक्षित ने अपने आखिरी खत में लिखा था- ‘मैं दिल्ली कांग्रेस को मजबूत करने के लिए फैसले ले रही हूं, लेकिन …. नेता के इशारे पर चलकर प्रभारी पीसी चाको बेवजह कदम उठा रहे हैं।
शीला दीक्षित ने लिखा है- ‘जानबूझकर मेरे फैसलों में अड़ंगा लगाया जा रहा है…. आखिर में नतीजे बताते हैं कि कैसे तीसरे नंबर की कांग्रेस बिना गठजोड़ के दो नंबर पर आ गई।’
शीला दीक्षित ने यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह पत्र 8 जुलाई को लिखा था। इसके बाद मामले को सुलझाने के लिए सोनिया गांधी के करीब नेताओं ने शीला दीक्षित, अजय माकन और पीसी चाकों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद मामले को हल करने का आश्वासन दिया था।
गौरतलब है कि शीला दीक्षित सबसे ज्यादा तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। 1998 से 2013 तक उन्होंने दिल्ली का शासन संभाला। उन्हें दिल्ली को आधुनिक बनाने का श्रेय दिया जाता है। बीते दिनों उन्हें दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
शीला की अस्थियां गंगोत्री, हेमकुंड और इलाहाबाद में होंगी विसर्जित
वहीं, अंतिम संस्कार के बाद सोमवार सुबह निगम बोध घाट पर बेटे संदीप दीक्षित और बेटी लतिका ने दिवंगत शीला दीक्षित की अस्थियां चुनीं। इसे इलाहाबाद, गंगोत्री और हेमकुंड में प्रवाहित किया जाएगा। परिजनों ने यह भी कहा कि आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर शीला की याद में दिल्ली के बड़े-ड़े पार्कों में पेड़ लगाए जाएंगे, ताकि उनकी याद बनी रहे।
दो दिन बाद परिवार को सांत्वना देने पहुंचे पीसी चाको
इस बीच सोमवार को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको शीला के आवास पर परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। वह वहां लगभग 40 मिनट तक रुके। दिल्ली से बाहर होने की वजह से चाको शीला के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे।
सोमवार को शोक स्वरूप प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भी बंद रखा गया। वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस की ओर से जल्द ही शीला को श्रद्धांजलि के लिए एक शोक सभा का आयोजन भी किया जाएगा। यह सभा कहां और किस दिन होगी, अभी तय नहीं है। सोमवार को चाको ने प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ और देवेंद्र यादव से इस विषय में विचार विमर्श किया।
शीला के नाम पर रखा जाएगा प्रदेश कार्यालय के सभागार का नाम
प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने घोषणा की है कि शीला दीक्षित की यादें और उनका आशीर्वाद पार्टी कार्यकर्ताओं पर बना रहे, इसके लिए उनकी स्मृति मे प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के एक सभागार का नाम उन्हीं के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित की प्रतिमा भी प्रदेश कार्यालय मे स्थापित की जाएगी।
लिलोठिया ने कहा कि शीला दीक्षित का निधन न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लिए एक भारी नुकसान है बल्कि समाज और दिल्ली के लिए भी भारी क्षति है। शीला का दिल्ली के विकास में बड़ा योगदान है जो भुलाया नही जा सकता। इतिहास मे जब जब दिल्ली के चहुंमुखी विकास का जिक्र होगा तब तब शीला को याद किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पुन: प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली में फिर से पार्टी को मजबूती मिली और लोकसभा चुनाव मे उनके नेतृत्व में पार्टी ने फिर से अपनी खोई पहचान को हासिल किया। उनका निधन होने से एक युग का ही अंत हो गया।
शीला दीक्षित के नाम पर लगेंगे पेड़
राजेश लिलोठिया ने कहा कि शीला जी की स्मृति में सभी विधानसभाओं मे ‘शीला दीक्षित नाम नहीं-प्रगति और विकास की गाथा है’ नाम से कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी और दिल्लीवासियों को फिर से याद दिलाया जाएगा कि दिल्ली का जो भी विकास हुआ है उसमें शीला जी की बहुत बड़ी भागीदारी थी।
यहां पर बता दें कि 81 वर्षीय शीला दीक्षित का 20 जुलाई की दोपहर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह कुछ समय से बीमार चल रही थीं। 20 जुलाई की दोपहर 3 बजकर 5 मिनट पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रख गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों के मुताबिक, 3 बजकर 55 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।