नई दिल्ली: सरकार ने शनिवार को स्पष्ट किया है कि न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी तय करने में देरी का उसका कोई इरादा नहीं है। इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि इस मुद्दे पर एक विशेषज्ञ ग्रुप का गठन किया गया है, जिसका कार्यकाल तीन वर्षो का है। ग्रुप का कार्यकाल इतना लंबा रखने का मकसद यही है कि सरकार इस मामले में देरी करना चाहती है। ऐसी खबरों के बाद शनिवार को श्रम मंत्रालय ने इस पर स्पष्टीकरण दिया है।
इसी महीने मंत्रालय ने कहा था कि केंद्र सरकार ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अजीत मिश्रा के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ ग्रुप का गठन किया है। इस ग्रुप का उद्देश्य हर सेक्टर के लिए एक न्यूनतम वेतन और देशभर में एक न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करना है। यह ग्रुप न्यूनतम वेतन और मजदूरी निर्धारित करने के लिए तकनीकी जानकारी और सिफारिशें देगा। मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि तीन वर्ष के कार्यकाल को देखते हुए कुछ वर्गों को ऐसा लग रहा होगा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने में देरी करना चाहती है, लेकिन यह सच नहीं है।
विशेषज्ञ ग्रुप जल्द से जल्द सरकार को अपनी सिफारिश सौंपेगा। ग्रुप की पहली बैठक 14 जून को हो चुकी है और दूसरी 29 जून को प्रस्तावित है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी का अर्थ यह है कि देशभर में किसी का भी वेतन उससे कम नहीं होगा। वहीं, न्यूनतम वेतन हर सेक्टर के लिए अलग-अलग और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी से अधिक हो सकता है।