अद्धयात्मजीवनशैली

श्रावण के हर मंगलवार को करना चाहिए मंगला गौरी व्रत, कब और कैसे करें पूजन?


पवित्र माह श्रावण में पड़ने वाले सभी मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। भगवान शिव को प्रिय श्रावण मास में आने वाला यह व्रत सुख-सौभाग्य से जुड़े होने की वजह से सुहागिन महिलाएं करती हैं। इस व्रत-उपवास को करने का उद्देश्य महिलाओं को अखंड सुहाग की प्राप्ति तथा संतान को सुखी जीवन की कामना करना है। इस वर्ष पहला मंगला गौरी व्रत 31 जुलाई 2018 को मनाया गया, दूसरा व्रत 7 अगस्त, तीसरा 14 अगस्त तथा चौथा व्रत 21 अगस्त को रखा जाएगा। श्रावण मास के दौरान आने वाले हर मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें। नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए। मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
फिर- ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।’ (इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।)
अर्थ : ऐसा माना जाता है कि मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं। तत्पश्चात मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं। दीपक ऐसा हो, जिसमें 16 बत्तियां लगाई जा सकें।
इसके बाद-
‘कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्…।।’
यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग क‍ी सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करें। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि चढ़ाएं। पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है। इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। शिवप्रिया पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने वालों को अखंड सुहाग तथा पुत्र प्राप्ति का सुख मिलता है। मंगला गौरी व्रत विशेष तौर पर मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश में प्रचल‍ित है।

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