श्रीकुमार ने की गुजरात दंगों पर नानावटी आयोग की रपट सार्वजनिक करने की मांग
गांधीनगर: गुजरात पुलिस के पूर्व महानिदेशक आरबी श्रीकुमार ने गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल से 2002 के गुजरात दंगों की नानावटी जांच आयोग की रपट को सार्वजनिक करने की मांग की है। दंगों को लेकर कुमार की गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से तल्खी रहती थी। बतौर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलीजेंस) उन्होंने रपट दी थी कि दंगों के बाद मोदी के बयान पहले से ही तनावपूर्ण सांप्रदायिक माहौल में आग लगाने का काम करेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति जीटी नानावटी और गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अक्षय मेहता के आयोग ने दंगों के 12 साल बाद इस पर अपनी रपट सौंपी। बीते 12 साल में जांच आयोग का कार्यकाल 25 बार बढ़ाया गया था।
14 नवंबर 2014 को आयोग ने रपट सौंपी
तत्कालीन मोदी सरकार ने 6 मार्च 2002 को न्यायमूर्ति नानावटी और मेहता को साबरमती एक्सप्रेस में 27 फरवरी को 59 लोगों की जलाकर की गई हत्या और इसके बाद 1169 लोगों की जान लेने वाले दंगों की जांच करने के लिए नियुक्त किया था। आयोग ने बीते साल आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद 14 नवंबर 2014 को अपनी रपट सौंपी थी।
श्रीकुमार ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र में श्रीकुमार ने कहा कि उन्हें यह देख कर तकलीफ हो रही है कि राज्य के किसी भी विधायक ने आयोग की रपट को सार्वजनिक करने के बारे में किसी भी तरह की कोई जल्दी नहीं दिखाई है। 18 नवंबर को श्रीकुमार ने राज्य सरकार से पत्र लिखकर यह मांग की है।
क्या कहता है कानून
उन्होंने पत्र में इस बात को उठाया है कि 1952 का जांच आयोग कानून यह कहता है कि रपट दाखिल किए जाने के छह महीने बाद जांच रपट को सदन में पेश किया जाना चाहिए और इसके साथ ये भी पेश करना चाहिए कि इस रपट पर क्या कार्रवाई होने जा रही है।
गुजरात में वीभत्स हत्याकांड राज्य के 11 जिलों में ही हुए थे
श्रीकुमार ने जांच आयोग के सामने नौ हलफनामे पेश किए थे। चार उस वक्त जब वह सेवा में थे और पांच अवकाश प्राप्त करने के बाद। आयोग ने दो बार उनसे प्रश्न पूछे थे। श्रीकुमार ने कहा कि 1984 में सिख विरोधी दंगा पूरी दिल्ली में फैला था, लेकिन गुजरात में वीभत्स हत्याकांड राज्य के 11 जिलों में ही हुए थे। आयोग ने निश्चित ही इसका आकलन किया होगा कि राज्य में क्यों कुछ जगहों पर इस हद तक हिंसा हुई थी।
उन्होंने कहा कि इसी तरह आयोग ने इस बारे में भी सुझाव दिए होंगे कि इसके लिए क्या किया जाए कि फिर ऐसी घटनाएं न हों। इन सभी बातों को समाज के तमाम तबके जानना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी कितने ही दंगा पीड़ित अपने घरों को नहीं लौट सके हैं। उनके पुनर्वास पर भी निश्चित ही आयोग ने कुछ सिफारिशें की होंगी। उन्होंने कहा कि रपट को जारी न करने का राज्य सरकार का हठ गुजरात में लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं की ताकत को छीन लेगा।