श्रीकृष्ण द्वारा बोए इस पेड़ में आज भी उगते हैं मोती, पाने के लिए लगती है लोगों की लंबी कतारें
हम सभी जानते ही हैं कि राधा के बिना भगवान श्रीकृष्ण को अधूरा माना जाता है। राधा और कृष्ण दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और आज भी राधा-कृष्ण का नाम साथ में लिया जाता है। पौराणिक कहानियों का अपना अलग ही मजा है। इन कहानियों के माध्यम से ही इतिहास को बड़ी ही खूबसूरती के साथ वर्तमान से जोड़ा जाता है। आज एक ऐसी ही पौराणिक कथा का जिक्र हम आपके सामने करने जा रहे हैं, जो आपको हैरान कर देगी। हैरान करने वाली बात यह है कि यह पेड़ आज भी मौजूद है।
आज हम जिस कहानी का जिक्र आपके सामने करने जा रहे हैं वह कृष्ण और राधा से ही रिलेटेड है। हम आपको उस मोती के बारे में बताएंगे जिसे खुद भगवान श्री कृष्ण ने बोया था। इस पेड की काफी मान्यता है। हर जगह यही कहा और सुना जाता है कि भगवान कृष्ण, राधा से प्रेम तो बहुत करते थे लेकिन किसी कारणवश दोनों शादी नहीं हो पाई। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि दोनों की शादी खुद ब्रम्हा जी ने करवाई थी। इस मोती को लेने से लिए भीड़ लगाकर लोग इकट्ठा होते हैं।
श्रीकृष्ण और राधा की सगाई के वक्त राधारानी के पिता वृषभानु ने कृष्ण जी को तोहफे के रूप में बेशकीमती मोती दिए थे। इन्हें देख वासुदेव को इस बात की चिंता सताने लगी कि इन कीमती मोतियों को वह कैसे संभालेंगे। अपने पिता को चिन्तित देख श्रीकृष्ण उन मोतियों को कुंड के पास जमीन में गाड़ दिए। जब नंद बाबा को इस बारे में पता चला तो वह अपने पुत्र से नाराज हो गए और बिना देर किए कुछ लोगों को मोतियों को खोदकर लाने का आदेश दिया। हालांकि सभी ने जाकर देखा कि उस जगह पर एक पेड़ उग आया है जिसमें से सुंदर मोती लटक रहे हैं। उस दिन से आज तक उस कुंड को मोती कुंड के नाम से ही जाना जाता है। यहां लगे पीलू के पेड़ से मोती बटोरने आते हैं। इसके लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर लोग घंटो इंतजार करते हैं। इन्हें पाने वाले मोतियों को काफी सहेज कर रखते हैं।