संगीत साधना है, सारंगी साधू : अपर्णा यादव
लखनऊ। साज पर बैठे कलाकार, हाथ में परम्परागत वाद्य यंत्र सारंगी, उससे निकलती शास्त्रीय संगीत की धून, सामने बैठे संगीत प्रेमी और अनवरत तालियों की गड़गड़ाहट। इस पूरे परिदृश्य ने आज संगीत की उस दुनिया की याद को ताजा कर दिया जो कभी मुगल म्राज्य में देखने को मिला करती थी। मौका था सारंगी मेले के आयोजन का। संगीत नाटक अकादमी, गोमतीनगर में डाईंग आर्ट्स अकादमी, इंस्टिट्यूट ऑफ़ क्रिएटिव स्टडी द्वारा सारंगी मेला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परंपरागत सारंगी का मंचन श्रीमती अपर्णा यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। श्रीमती अपर्णा यादव ने कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित करते हुए किया। इस अवसर पर श्रीमती यादव ने सबका अभिवादन करते हुए कहा कि वर्तमान समय में संगीत की रूप रेखा पूरी तरह से परिवर्तित हो चुकी है फिर
भी वाद्ययंत्रों में आज भी सारंगी का कोई तोड़ नहीं है। उन्होंने कहा कि सारंगी जब बजती है तो गायक छोटा पड़ने लगता है और सारंगी ऊपर उठने लगती है।
श्रीमती यादव ने कहा कि संगीत एक साधना और सारंगी साधू है और साधू को जो चुनौती देगा उसका पतन भी निश्चित है। उन्होंने सारंगी के प्रमोट करने पर जोर देते हुए कहा कि सारंगी जे जुड़े घरानों और सारंगी प्रेमियों के उत्थान के लिए में हर संभव मदद करूंगी। उन्होंने कलाकारों को इक्कीस हज़ार रुपये नकद राशि प्रोत्साहन स्वरूप भी प्रदान किया। उक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से बतौर विशिष्ट अतिथि, डॉ अशोक बाजपेयी, एसएनए के अध्यक्ष श्री अच्छे लाल, निदेशक आकाशवाणी श्री पृथ्वीराजचौहान सहित विख्यात सारंगीवादक श्री रामेश्वर प्रसाद मिश्र, श्री संतोष मिश्र, श्री कन्हैया लाल मिश्र, श्रीमती अरुणा मिश्र ,मुंबई के संदीप सहित करीब २५ सारंगी वादक विशेषज्ञ भाग भाग लिए।