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पुणे (एजेंसी ) अभिनेता संजय दत्त अपनी चार सप्ताह की चिकित्सा पैरोल समाप्त होने बाद बुधवार को वापस यरवडा केंद्रीय कारागार पहुंच गए। संजय दत्त (54) पुणे में उच्च सुरक्षा वाले इस कारागार में 42 महीने की अपनी शेष सजा काट रहे हैं। पैरों में खून के थक्के जमने की शिकायत के बाद एक अक्टूबर को वह इलाज के लिए एक पखवाड़े की चिकित्सा पैरोल पर जेल से बाहर आए थे। अधिकारियों ने कहा कि उनकी जरूरत को देखते हुए बाद में उनकी पैरोल अवधि 15 दिन बढ़ा दी गई थी जो मंगलवार को पूरी हो गई। अभिनेता संजय दत्त को 12 मार्च 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में प्रयोग किए गए शस्त्र और हथियारों की एक खेप अपने पास रखने के मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। जेल जाने से पहले पिछले कुछ सालों में दत्त ने ‘मुन्ना भाई एम. बी. बी. एस.’ ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ और ‘ अग्निपथ’ जैसी फिल्मों में काम किया। दत्त बुधवार सुबह 6.3० बजे के लगभग वापस यरवडा जेल (पुणे) जाने के लिए मुंबई स्थित अपने घर से निकले। उन्होंने पत्रकारों से कहा ‘‘मैं आप सभी के सहयोग और समर्थन के लिए आभारी हूं। मेरी तरफ से सभी को दीवाली की शुभकामनाएं।’’ दत्त को 16 मई को 42 महीने की शेष सजा काटने के लिए यरवडा जेल भेजा गया था जहां उन्हें कागज के थैले बनाने का काम दिया गया है। जेल में बनाए गए थैलों की बिक्री बाहर गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से की जाती है। जेल जाने के बाद दत्त आखिरी बार फिल्म ‘पुलिसगीरी’ में दिखाई दिए थे। दत्त ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा था ‘‘मेरे पैर अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हैं पर पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूं। आप मेरे लिए दुआ करें ताकि मैं जल्द सजा पूरी करके घर आ सकूं।’’ पैरोल पर उनके बाहर आने के समय से ही मीडिया में अफवाहें उड़ रही थीं कि उनकी सजा की अवधि कम हो सकती है या उन्हें क्षमादान मिल सकता है। वैसे बीते शुक्रवार राज्य के गृह मंत्री आर. आर. पाटिल ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि इस संबंध में उन्हें केंद्र से किसी तरह का आदेश नहीं मिला है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई ने क्षमादान या सजा की अवधि कम करने के लिए किसी भी तरह के प्रस्ताव का विरोध किया है। पार्टी का कहना है कि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और दूसरे अपराधी भी क्षमादान याचिका का गलत उपयोग कर सकते हैं।