अपराध
संभल जाएं, ये दिन और रात कभी भी कर करते हैं चोरी
जरा संभल जाएं और दिनभर घर पर रहने वाले परिवार वालों, जिनमें खासकर महिलाओं को समझा दें कि घर पर रहने के लिए भी वही सब सतर्कता बरतनी पड़ती है जो घर से बाहर निकलकर काम पर जाने वाले लोगों को रखनी पड़ती है। कारण साफ है कि ऐसे चोर भी काफी सक्रिय हैं जो केवल दिन में ही चोरी करते हैं। इनका चोरी करने का तरीका भी कुछ अलग है जो अच्छे खासे व्यक्ति को झांसे में ले सकता है। कोई आम आदमी कब इनका शिकार बन जाता है पता भी नहीं लगता।
ये आपके घर के दरवाजे पर किसी भी किरदार में आ सकते हैं जो आपकी असल जिंदगी में जाने—पहचाने होते हैं। असल में तो ये चोर नहीं आपकी बेवकूफी का फायदा उठाने वाले झांसेबाज हैं जो आपके कमजोर पक्ष को अच्छी तरह समझते हैं और आपकी बॉडी लैंग्वज से ही आपकी होशियारी को कसौटी पर परख लेते हैं। ठगी के इसी तरीके से ये लोग हर लोग बिना मेहनत किए हजारों रुपए से अपनी जेब भर ले जाते हैं और हमें पता भी नहीं लगता।
कई बहाने हैं इनके पास
कभी मदारी का खेल दिखाने का बहाना, कभी नाटक दिखाने का झांसा, कभी देवी—देवता के नाम पर चंदा तो कभी अनाज इकट्ठा करना, कभी आपके परिचित का नाम लेकर उसके द्वारा रुपए मंगाए जाने की बात कहना और कभी—कभी तो ये जेवर चमकाने की कहकर महिलाओं से लाखों के जेवरात ठग ले जाते हैं।
मन्नत पूरी होने की कह उतरवा ले गए जेवरात
उर्मिला जैन पिछले महिने नि:संतान बहु का इलाज कराने विशाखापट्टनम से कुम्हारों का भट्टा, उदयपुर आई। वे अस्पताल के पास स्थित जैन मंदिर बहु के साथ जा रही थी। रास्ते में एक युवक आया और बहु से सोने की अंगूठी उतारकर माताजी को देकर 81 कदम तेज चलने की कही। तर्क दिया कि ऐसा करने से उसकी मुराद पूरी होगी। थोड़ा आगे जाने पर माताजी से भी जेवर खोलकर देने और पीछे मुड़कर नहीं देखने को कहा। विश्वास के लिए साथ चलता रहा।
जैसे ही दोनों महिला आगे निकली, युवक सारे जेवरात लेकर रफू—चक्कर हो गया। जयपुर के विद्याधर नगर में रहने वाले आर.के.शर्मा ने बताया कि कुछ दिन पहले दोपहर करीब 1 बजे एक लड़का घर के बाहर आया और उसके हाथ में ली हुई कॉपी में पड़ोसी के नाम के आगे पचास रुपए देने की लिखी राशि दिखाकर बोला कि शाम को गली के नुक्कड पर बंदर का खेल दिखाया जाएगा, इसमें आप भी अपने छोटे बच्चों को खेल दिखाने के लिए लेकर आना। आपके पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी ने भी पचास रूपए दिए हैं आप भी कुछ दें। यह सुनकर आर.के.शर्मा ने भी पचास रूपए दे दिए। शाम को गली के नुक्कड़ पर बच्चों को लेकर पहुंचे तो कोई खेल वहां नहीं था। तब जाकर उन्हें ठगी की बात समझ में आ गई।