दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली.लोकसभा में गुरुवार को इशरत जहां एनकाउंटर का मामला उठा। हंगामा होने पर कांग्रेस ने एक बार वॉकआउट भी किया। राजनाथ सिंह ने इस मसले पर बयान दिया। कहा, ”यूपीए सरकार ने दो एफिडेविट दिए थे। एक में उसे आतंकी बताया और दूसरे में सच्चाई छिपाई। डेविड हेडली ने उसे आतंकी बताते हुए सच्चाई उजागर की।”
लोकसभा में इशरत जहां मुद्दे पर जमकर हुआ हंगामा…
राजनाथ ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
– राजनाथ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की ओर से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए लाए गए नोटिस का जवाब दे रहे थे।
– होम मिनिस्टर ने कहा,” मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि आतंकवाद से केवल भारत ही नहीं, पूरी दुनिया प्रभावित है। इसलिए इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
– ”पहले एक एडिशनल एफिडेविट फाइल की जाती है। बाद में उसे नया डाइमेंशन दे दिया जाता है।”
– ”लगता है कि तत्कालीन गुजरात सरकार को परेशान करने के लिए और उस वक्त के सीएम (नरेंद्र मोदी) को फंसाने के लिए यह सब किया गया”
– ”हेडली का बयान इशरत के आतंकवादी होने का एक और सबूत है। इस मामले को कम्युनल कलर देने की कोशिश की गई।”
– ”होम सेक्रेटरी की दो चिट्ठियां जो अटॉर्नी जनरल को लिखे गए थे, वे आज उपलब्ध नहीं है।”
– ”जो ड्राफ्ट अटॉर्नी जनरल से उस वक्त आया, उसकी कॉपी भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे बहुत सारे सवाल है जिनकी छानबीन करने की जरूरत है।”
बीजेपी सांसद ने कहा- यूपीए सरकार ने की मोदी को फंसाने की कोशिश
– लोकसभा में बीजेपी सांसद दुबे ने कहा, ”बाटला एन्काउंटर में इंस्पेक्टर एमएल शर्मा शहीद हुए, लेकिन कांग्रेस के मिनिस्टर कहते हैं कि मैडम की आंखों में आतंकवादियों के मारे जाने की वजह से आंसू आ गए।”
– ”किसी भी हमले के बाद इंटेलिजेंस को ही दोषी ठहराया जाता है। आईबी को पुलिस एक्शन के पावर क्यों नहीं दिए गए।”
– ”सीबीआई डायरेक्टर उस आदमी को बनाया गया था, जिस पर करप्शन के गंभीर आरोप थे और वह जूनियर भी था।”
– ”कांग्रेस अपनी सुविधा के लिए उनका इस्तेमाल करना चाहती थी।”
– निशिकांत दुबे के साथ कुछ बीजेपी सांसदों ने 2004 में गुजरात में कथित मुठभेड़ में मारी गई इशरत पर पिछली सरकार में दायर दो एफिडेविट पर सरकार से जवाब मांगा है।
क्या है इशरत जहां एनकाउंटर मामला?
– 15 जून 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राणा और जीशान जौहर नाम के चार कथित आतंकियों को अहमदाबाद में एक एनकाउंटर में मार गिराया गया था।
– गुजरात पुलिस के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने खुलासा किया था कि ये सभी लश्कर-ए-तैयबा के टेररिस्ट थे, जो गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या करने आए थे।
– कांग्रेस ने गुजरात सरकार पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया था।
– इस मामले में पूर्व होम सेक्रेटरी जीके पिल्लई ने माना है कि इशरत के आतंकियों से रिश्ते थे।
– उन्होंने कहा है कि इशरत लश्कर की आतंकी थी या नहीं, ये नहीं पता, लेकिन वो उस पूरे ऑपरेशन में शामिल थी।
– इशरत जहां मामले की जांच फिलहाल सीबीआई के पास है।
– 2013 में फाइल की गई चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि एनकाउंटर फर्जी था।
– यह एनकाउंटर अहमदाबाद पुलिस और आईबी ने मिलकर किया था।
– फिलहाल, मामला कोर्ट में है। हेडली के खुलासे के बाद एक बार फिर से इशरत मामले में जांच की मांग की जा रही है।
अब विवाद क्यों?
– कुछ दिन पहले होम मिनिस्ट्री के एक पूर्व अफसर आरवीएस मणि ने आरोप लगाया है कि यूपीए की सरकार के वक्त उन पर इशरत को आतंकी नहीं बताने का दबाव था।
– उनसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट बदलने को कहा गया था। इसके लिए एसआईटी चीफ ने उन्हें सिगरेट से भी जलाया था।
– सीबीआई उनका पीछा करती थी। बता दें कि इससे पहले यूपीए सरकार में होम सेक्रेटरी रहे जीके पिल्लई ने भी आरोप लगाया है कि चिदंबरम ने उन्हें दरकिनार कर इस केस का एफिडेविट बदलवा लिया था।
– होम मिनिस्ट्री के अफसरों ने कहा कि पहला एफिडेविट महाराष्ट्र, गुजरात पुलिस और खुफिया ब्यूरो के इनपुट के बेस पर दायर किया गया था। इसमें कहा गया कि मुंबई के बाहरी इलाके की 19 साल की लड़की लश्कर-ए-तैयबा की मेंबर थी।
– लेकिन दूसरे एफिडेविट में इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
– अफसरों ने कहा कि कथित रूप से उस समय के होम मिनिस्टर पी चिदंबरम द्वारा तैयार दूसरे हलफनामे में कहा गया कि यह साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि इशरत आतंकवादी थी।
– पूर्व होम सेक्रेटरी जीके पिल्लई ने दावा किया था कि चिदंबरम ने असली एफिडेविट कोर्ट में दायर होने के एक महीने बाद फाइल मंगवाई, जिसमें इशरत और उसके मारे गए साथियों को लश्कर का सदस्य बताया गया था।
– पिल्लई ने कहा था कि मंत्री के आदेश पर एफिडेविट में सुधार के बाद ही फाइल मेरे पास आई।
चिदंबरम ने क्या दी थी सफाई?
– चिदंबरम ने इस मामले में पिल्लई की नीयत पर भी सवाल उठाए हैं।
– चिदंबरम ने भी यह माना है कि एफिडेविट बदला गया था, लेकिन ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि पहला एफिडेविट भ्रम फैलाने वाला था।
– उन्होंने कहा कि ऐसा किसी को बचाने के लिए नहीं किया गया था, बल्कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष ठीक से रखने के लिए किया गया था।
– ”पहले एक एडिशनल एफिडेविट फाइल की जाती है। बाद में उसे नया डाइमेंशन दे दिया जाता है।”
– ”लगता है कि तत्कालीन गुजरात सरकार को परेशान करने के लिए और उस वक्त के सीएम (नरेंद्र मोदी) को फंसाने के लिए यह सब किया गया”
– ”हेडली का बयान इशरत के आतंकवादी होने का एक और सबूत है। इस मामले को कम्युनल कलर देने की कोशिश की गई।”
– ”होम सेक्रेटरी की दो चिट्ठियां जो अटॉर्नी जनरल को लिखे गए थे, वे आज उपलब्ध नहीं है।”
– ”किसी भी हमले के बाद इंटेलिजेंस को ही दोषी ठहराया जाता है। आईबी को पुलिस एक्शन के पावर क्यों नहीं दिए गए।”
– ”सीबीआई डायरेक्टर उस आदमी को बनाया गया था, जिस पर करप्शन के गंभीर आरोप थे और वह जूनियर भी था।”
– ”कांग्रेस अपनी सुविधा के लिए उनका इस्तेमाल करना चाहती थी।”
– गुजरात पुलिस के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने खुलासा किया था कि ये सभी लश्कर-ए-तैयबा के टेररिस्ट थे, जो गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या करने आए थे।
– कांग्रेस ने गुजरात सरकार पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया था।
– इस मामले में पूर्व होम सेक्रेटरी जीके पिल्लई ने माना है कि इशरत के आतंकियों से रिश्ते थे।
– उन्होंने कहा है कि इशरत लश्कर की आतंकी थी या नहीं, ये नहीं पता, लेकिन वो उस पूरे ऑपरेशन में शामिल थी।
– इशरत जहां मामले की जांच फिलहाल सीबीआई के पास है।
– 2013 में फाइल की गई चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि एनकाउंटर फर्जी था।
– यह एनकाउंटर अहमदाबाद पुलिस और आईबी ने मिलकर किया था।
– फिलहाल, मामला कोर्ट में है। हेडली के खुलासे के बाद एक बार फिर से इशरत मामले में जांच की मांग की जा रही है।
– सीबीआई उनका पीछा करती थी। बता दें कि इससे पहले यूपीए सरकार में होम सेक्रेटरी रहे जीके पिल्लई ने भी आरोप लगाया है कि चिदंबरम ने उन्हें दरकिनार कर इस केस का एफिडेविट बदलवा लिया था।
– चिदंबरम ने भी यह माना है कि एफिडेविट बदला गया था, लेकिन ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि पहला एफिडेविट भ्रम फैलाने वाला था।