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सकारात्मक इच्छामृत्यु पर सरकार ने लोगों से मांगी राय

एजेंसी/ passive_euthanasia_in_india_16_05_2016मुंबई। इच्छामृत्यु पर दुनियाभर में बहस छिड़ी है। कई देश इसे पूरी तरह लागू कर चुके हैं, तो कहीं आंशिक सहमति बनी है। अब भारत भी इसी दिशा में बढ़ने जा रहा है।

केंद्र सरकार ने इच्छा मृत्यु कानून का मसौदा बनाया है, जिसमें जिंदगी की आस छोड़ चुके मरीजों को अपनी इच्छा के अनुसार मौत चुनने का अधिकार दिया गया है।

खासबात यह है कि इस कानून पर आगे बढ़ने से पहले सरकार देश की जनता और विशेषज्ञों की राय चाहती है। इसके लिए मसौदे से जुड़ी अहम बातों को स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया है, ताकि लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे सकें।

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, बिल में मरीजों को अधिकार दिया गया है कि वे इलाज बंद करने के लिए डॉक्टरों से कह सकें और प्राकृतिक मौत मर सकें।

टर्मिनली इल पेशेंट्स (प्रोटेक्शन ऑफ पेशेंट्स एंड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स) बिल के मसौदे पर ईमेल के जरिए 19 जून तक लोग अपनी राय दे सकते हैंं।

मसौदे में इलाज बंद करने को लेकर मरीजों और डॉक्टरों के अधिकारों के बारे में लिखा गया है। हालांकि यह प्रावधान भी किया गया है कि इलाज बंद करने के बाद दर्द न हो, इसकी दवाएं चलती रहेंगी।

अक्टूबर 2015 में कैलिफोर्निया डॉक्टरों की मदद से आत्महत्या यानी इच्छामृत्यु को अनुमति देने वाला अमेरिका का पांचवां राज्य बन गया। कैलिफोर्निया के गर्वनर ने उस विवादास्पद कानून को मंजूरी दे दी, जिससे लाइलाज बीमारियों से पीड़ित मरीज डॉक्टरों की मदद से अपनी जान दे सकेंगे। हालांकि, यह तभी संभव हो पाएगा जब उनके इलाज की कोई सूरत नहीं बचेगी।

 
 

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