नई दिल्ली: बीसीसीआई में पारदर्शिता, सुधार करने के लिए बनाई गई लोढा कमेटी द्वारा तैयार की गई अहम रिपोर्ट आज सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई। इसके बाद पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढा ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। जानिए मुख्य बातें…
- बीसीसीआई पदाधिकारियों तथा पूर्व कप्तानों से बातचीत की।
- आईपीएल तथा नॉन-आईपीएल क्रिकेट गतिविधियों के लिए दो एक्ज़ीक्यूटिव बॉडी होनी चाहिए।
- इतिहास में पहली बार बीसीसीआई में खिलाड़ियों की एसोसिएशन भी बनेगी, लेकिन यूनियन नहीं होगी।
- शशांक मनोहर ने कुछ प्रस्तावों पर पहले ही अमल किया है।
- प्रबंधन (मैनेजमेंट) और प्रशासन (गवर्नेन्स) को अलग-अलग होना चाहिए।
- BCCI के लोगों से भी कमेटी ने बात की। कपिल देव, सौरव गांगुली, बेदी से भी बात की।
- एक राज्य में एक क्रिकेट संघ हो।
- सभी को वोट देने का हक़ हो।
- खिलाड़ियों के हित को ध्यान रखा जाए।
- टेस्ट क्रिकेटर ही चयनकर्ता बने।
- टीम चयन और कोचिंग पूर्व क्रिकेटर करें।
- देश में क्रिकेट को क्रिकेटर ही चलाएं।
- राज्य संघ में पूर्व क्रिकेटर शामिल हो।
- फ़िक्सिंग रोकने के लिए उठाए कदम।
- RTI के दायरे में हो बीसीसीआई।
- मंत्री-अफ़सर बीसीसीआई में न हों।
- सट्टेबाज़ी को वैध बनाने का सुझाव।
- बीसीसीआई की स्वायत्तता बनी रहे।
रिपोर्ट से क्रिकेट को चलाने का भारत में तरीका हमेशा के लिए बदल सकता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अहम चेहरे, उनसे जुड़े विवाद और सैकड़ों मुद्दे हमेशा के लिए बदल सकते हैं। मुमकिन है कि नए साल में दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड पहले जैसा न रहे।
उल्लेखनीय है कि लोढा कमिटी के सख्त रवैये का असर पहले ही आईपीएल पर दिख चुका है। विवादों में घिरी चेन्नई और राजस्थान की टीमों को अब वापसी के लिए 2018 तक का इंतजार करना होगा। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अकसर मनमानी करने वाली बीसीसीआई के लिए नया साल खतरे की घंटी बजा सकता है।
पूर्व क्रिकेट अतुल वासन का मानना है कि कल बोर्ड में कई बदलाव आएंगे और राजनेताओं और पूर्व खिलाड़ियों का सही मिश्रण ही खेल के लिए अच्छा है।
सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी में साफ लिखा है कि कमेटी को बीसीसीआई में सुधार के लिए सिफारिश करनी है। इसमें सिफारिशें बोर्ड पर बाध्य होंगी या नहीं इसका कोई ज़िक्र नहीं है।