सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं को जेल में रखेगी योगी सरकार
उत्तर प्रदेश में सड़कों पर घूमने वाली गाय और दूसरे जानवरों को संरक्षण गृह में न भेज पाने के बाद योगी सरकार ने अब एक नया तरीका ढूंढा है. जानकारी के मुताबिक सड़कों पर घूमने वाली गायों को जेल भेजने की तैयारी की जा रही है, जहां पर मौजूद बंदी इनकी देखभाल करेंगे. इस व्यवस्था के तहत जेल की खाली जमीनों पर बाड़े बनाए जाएंगे. और इनका नाम गो सेवा केंद्र रखा जाएगा.
फिलहाल, अभी इस मामले में कमिश्नर के स्तर पर मंडल में अधिकारियों को जमीन तलाशने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में कमिश्नर ने कहा कि 31 जनवरी तक सभी जेलों में जानवरों को रखने का इंतजाम किया जाए. इसके लिए सभी जेल अधीक्षकों से जेल में खाली जमीन का ब्योरा भी मांगा गया है. यहां इन जानवरों की देखभाल जो भी कैदी करेंगे उन्हें मेहनताना भी दिया जाएगा.
जेल में बनने वाले सेवा केंद्रों में चारे का इंतजाम का जिम्मा सरकार के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों को भी सौंपा जाएगा. इसके लिए जिले के सीडीओ जनप्रतिनिधियों से संपर्क करके उनसे चारे और दूसरी चीजों के इंतजाम की अपील भी करेंगे.
इन जानवरों के लिए जेलों की जमीन पर चारा उगाया भी जाएगा. ऐसा ही प्रयोग लखनऊ के गोसाईगंज जेल में पहले से चल रहा है, जिसमें गो सेवा केंद्र को डेयरी के रूप में विकसित किया गया है और गायों से मिलने वाले दूध को बेचा भी जाता है.
जानकारी के मुताबिक इस वक्त गोसाईगंज जेल में 40 गायें हैं. अभी तक लखनऊ में एक ही बड़ी गोशाला है जो कि कान्हा उपवन के नाम से जानी जाती है. लेकिन अब सरकार ने लखनऊ के इंदिरा नगर में आउटर एरिया में राधा के नाम से भी एक गोशाला बनवाई है. जिसमें करीब 500 गाय रखी जा सकती हैं. इस मामले में सरकार आम जनता पर ही सख्ती करने जा रही है. नई व्यवस्था के मुताबिक अगर किसी ने अपने जानवर को छुट्टा छोड़ा तो उसे जुर्माना भी देना पड़ेगा.
गौरतलब है कि पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ ने कांजी हाउस का नाम बदलकर गो-संरक्षण केंद्र रखने और 10 जनवरी तक आवारा पशुओं को गो-संरक्षण केंद्रों में पहुंचाने के निर्देश दिया था. सीएम ने गोवंश के संरक्षण के लिए सभी जिलाधिकारियों को ये निर्देश दिए थे.
मुख्यमंत्री ने गो-संरक्षण केंद्रों में पशुओं के चारे, पानी और सुरक्षा की व्यवस्था किए जाने के भी आदेश दिए थे. बता दें कि योगी कैबिनेट की बैठक में सरकार ने गो कल्याण सेस लगाने को मंजूरी दी थी. जिसका इस्तेमाल प्रदेश में सड़क पर घूमने वाले आवारा पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनाने में किया जाएगा.