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सबसे खास है इस बार का प्रयागराज कुम्भ

प्रयागराज : कुम्भ हर चौथे साल नासिक, इलाहाबाद, उज्जैन, और हरिद्वार में बारी-बारी से होता है। हरिद्वार में कुम्भ गंगा नदी के किनारे, नासिक में गोदावरी नदी के तीरे और उज्जैन में नर्मदी नदी के किनारे कुम्भ महोत्सव आयोजित होता है और इस बार कुम्भ का मेला लगा है संगमनगरी प्रयागराज। जो सभी कुम्भ स्थलों में से सबसे खास है। जानते हैं क्यों…क्योंकि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों के संगम स्थल यानि त्रिवेणी में इस बार कुम्भ मेला लगने जा रहा है। पहले शाही स्नान के साथ ही 15 जनवरी, 2019 से प्रयागराज कुम्भ मेला का आगाज़ हो जाएगा। यूं तो कुम्भ… प्रयाग के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी लगता है लेकिन कुम्भ का जितना महत्व प्रयागराज में है उतना कहीं नहीं। इसके पीछे त्रिवेणी के तट पर कुम्भ का आयोजन होना तो एक कारण है ही, इसके अलावा भी कुछ है जो प्रयाग में कुम्भ को खास बनाता है। दरअसल, माना जाता है कि प्रयागराज में जहां पर कुम्भ मेले का आयोजन होता है वही ब्रह्माण्ड का उद्गम हुआ था और वहीं पर पृथ्वी का केंद्र भी है। मान्यता है कि ब्रह्माण्ड बनाने से पहले ब्रम्हाजी ने इसी स्थान पर अश्वमेघ यज्ञ किया था। इस यज्ञ के सबूत के तौर पर दश्वमेघ घाट और ब्रम्हेश्वर मंदिर यहां मौजूद हैं। जिन्हे यज्ञ के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कुम्भ मेले के दौरान कई शाही स्नान होते हैं। इस बार 8 शाही स्नान है जिनमें सबसे पहले 15 जनवरी को शाही स्नान होगा और इसी के साथ हो जाएगा कुम्भ मेला 2019 का आगाज़ भी।

शाही स्नान में सबसे पहले अखाड़ों से जुड़े साधु संत ही स्नान करते हैं। इन अखाड़ों के स्नान के बाद ही आम लोगों को स्नान की इजाज़त होती है। कहते हैं शाही स्नान के शुभ मुहूर्त पर ही डुबकी लगाने से अमर होने का वरदान हासिल होता है। यही कारण है कि कुम्भ के शाही स्नान के दौरान डुबकी लगाने की होड़ लोगों में देखने को मिलती है। 15 जनवरी मकर संक्रांति से शुरू होगा और 4 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। इस दौरान 8 शाही स्नान होंगे। पहला शाही स्नान 15 जनवरी, 2019 को है तो आखिरी शाही स्नान 4 मार्च होगा और इसी दिन कुम्भ मेले का समापन भी हो जाएगा।

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