हापुड़। राजनीति का गिरता स्तर कहे या नेताओं का मर्यादा से बाहर जाकर सस्ती चर्चा में रहने की आदत आये दिन किसी न किसी नेता द्वारा विपक्षी नेताओं के उपर गंदी राजनीति के तहत ऐसी बाते कही जा रही हैं कि समझ में ही नही आ रहा कि आज राजनीति से मर्यादा लुप्त हो गई या फिर नेताओं ने मर्यादा को किनारे कर दिया है। ऐसा ही कुछ हापुड़ में आयोजित राहुल गांधी की खाटसभा में देखने को मिला जब एक पूर्व कांग्रेसी सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपर कटाक्ष करते अत्यंत अशोभनीय शब्दों का प्रहार कर राजनीति में आयी गिरावट को दर्शाया।
स्वस्थ राजनीति और मर्यादा की बात करने वाली कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जनपद हापुड़ के किसानों से बात करने के लिए आयोजित की गई खाटसभा में जंहा भीड़ जुटाने के लिए जनता से खाट मिलने की झूठी बात प्रचारित कर राजनीति की मर्यादा को दरकिनार किया गया वहीं ऐसा भी कुछ देखने व सुनने को मिला जिसे सुनकर किसी भी सभ्य व्यक्ति को शर्म आ जाये। लेकिन स्टेज पर बैठे लोगों ने ना सिर्फ उसे सुना बल्कि तालियां भी बजायी।
सबके सामने पीएम मोदी को दी गाली
बात राहुल गांधी के हापुड़ पंहुचने से पहले की है स्टेज पर फिल्म अभिनेत्री व कांग्रेस नेत्री नगमा, नसीब सिंह, नसीब पठान, जिला अध्यक्ष सैयद अयाजुददीन, शहर अध्यक्ष दिनेश शर्मा, विधायक गजराज सिंह, विजय गोयल आदि बैठे हुए थे और माईक था हापुड़-गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसद रहे सुरेंन्द्र गोयल के हाथ में डायस के पीछे बोलते हुए सुरेंद्र गोयल ने अपने दस मिनट के भाषण में आठ बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम अत्यंत अशोभनीय भाषा ( वह शब्द नहीं लिख सकते) के साथ प्रयोग किया। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री के निजी जीवन पर प्रहार करते कहा कि वह ह’’’’ का पि’’’ अपनी बीबी को छोड़े हुए है और दुसरों की बीवी की रक्षा करने में लगे हैं। इसके अलावा सुरेंद्र गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ललकारते हुए उसी अशोभनीय शब्दों में कहा कि देख तेरा बाप राहुल गांधी आ गया है। सवाल उठता है कि क्या सुरेंद्र गोयल अपने परिवार में एैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं? क्या वह सार्वजनिक जीवन में एैसे ही गालियों की भाषा बोलते हैं?
एक ऐसे स्थान पर जहां महिला पुरूष के साथ छोटे बच्चे भी मौजूद थे वहां पर सुरेंद्र गोयल पार्टी की संस्कृति को दिखा व सुना रहे थे या यह उनके अपने परिवार की संस्कृति है। या फिर गंदी राजनीति के तहत सभा स्थल पर मौजूद मुस्लिमों को रिझाने के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग कर वह पार्टी की किसी रणनीति का पालन कर रहे थे।