सभी गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे को गले लगाने का त्योहार है ईद…
रमजान का पाक और बरकतों वाला महीना जा रहा है और ईद-उल-फितर आने वाली है। मुसलमानों को रहमतों के महीने के जाने का गम तो है लेकिन ईद के आने की खुशी भी है। सऊदी अरब में सोमवार को चांद दिखने के बाद आज ईद मनाई जा रही है। माना जा रहा है कि बुधवार को भारत में भी ईद हो सकती है। आज शाम को इफ्तारी के बाद चांद दिख जाता है तो कल देशभर में धूमधाम से ईद मनाई जाएगी। गौरतलब है कि जिस रात चांद देखा जाता है तभी अगले दिन के लिए ईद मनाने की घोषणा कर दी जाती है। लेकिन चांद का दीदार अलग-अलग देशों की भौगोलिक स्थितियों के आधार पर अलग-अलग समय पर होता है। ईद का दिन हर रोजेदार के लिए नई जिंदगी की शुरुआत का दिन माना जाता है।
रोजे रखने से व्यक्ति के अंदर जो बदलाव आता है उसका नतीजा ये होता है कि वह व्यक्ति न अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी बेहतर करने की सोचता है। एक हदीस में आया है कि हजरत मुहम्मद साहब जब शव्वाल (ईद का चांद) के चांद को देखते तो कहते, “ऐ मेरे रब इस चांद को अमन-ओ-चैन का चांद बना दे”।
हजरत मुहम्मद मुस्तफा साहब की बात ईद के असल भाव को दर्शाती है। ईद का असली मकसद इंसान की आध्यात्मिकता को बढ़ाना तो है ही साथ में इसका बड़ा लक्ष्य एकता भी है। जहां रमजान में रोजेदार घरों और मस्जिदों में सुबह की नमाज के बाद इबादत करते हैं वहीं, ईद के दिन सुबह से ही चहल-पहल होने लगती है।
घरों में से सेवइयां और अन्य पकवानों की खुशबू आनी शुरू हो जाती है। बच्चे और बड़े नए कपड़े पहनकर ईदगाह और मस्जिदों में ईद की नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं। नमाज के बाद लोग एक दूसरे से गले मिलकर आपसी भाईचारे का पैगाम देते हैं।
ईद की नमाज के बाद मिलने-मिलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लोग एक दूसरे के घर जाकर सेवइयां खाकर ईद की खुशियां मनाते हैं। ईद के त्योहार पर सभी मुस्लिम, गरीब लोगों की ईद अच्छी बनाने के लिए नमाज से पहले फितरा अदा करते हैं। इसे इस्लाम में वाजिब बताया गया है।
ईद की नमाज का सही तरीका
ईद-उल-फितर का त्योहार साल में एक बार आता तो मुमकिन है कुछ लोग ईद की नमाज पढ़ने का तरीका भूल जाते हैं। कुछ लोग ईद की नमाज के तुरंत बाद उठकर जाने लगते हैं जोकि गलत है। नमाज के बाद खुत्बा होता है जिसको सुनना जरूरी है। कहा गया है कि नमाज के बाद खुत्बा सुनने के बाद ही ईदगाह या मस्जिद से जाना चाहिए।
इस तरह पढ़ें नमाज
पहले नमाज की नियत करें
नियत करता हूं मैं दो रकात नमाजे ईदुल-उल-फित्र, जाईद छह तकबीरों के मुंह मेरा काबे शरीफ की तरफ वासते अल्लाह के पीछे इमाम के अल्लाहु अकबर।
इमाम जोर से और मुकतदी आहिस्ता से तकबीर कहकर हाथ बांधकर सना पढ़ेंगे। इसके बाद जाईद तकबीरें होंगी।
पहली तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर छोड़ना है।
दूसरी तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर छोड़ना है।
तीसरी तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर बांधना है।
इसके बाद किरात (कुरान की तिलावत) होगी और रुकूअ, सजदा करके पहली रकात मुकम्मल हो जाएगी।
दूसरी रकात के लिए उठते ही इमाम किरात करेगा इसके बाद जाईद तीनों तकबीरें होंगी।
पहली तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर छोड़ना है।
दूसरी तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर छोड़ना है।
तीसरी तकबीर कहकर हाथ कानों तक उठाकर छोड़ना है।
यहां तक छह जाईद तकबीरें मुकम्मल हो गईं।
अब इसके बाद बिना हाथ उठाए तकबीर कहकर रुकूअ में जाएंगे ।
आगे की नमाज दूसरी नमाजों की तरह होगी।