मनोरंजन
समंदर में रहकर सुरों को संवारते रहे कै. प्रमोद चौधरी

-अनिल बेदाग
मुंबई : बीच समंदर में खड़े जहाज़ के केबिन में जब कैप्टन प्रमोद चौधरी सुरों को संवारने के लिए रियाज़ करने लगते हैं तो साथियों को लगता है कि मर्चेंट नेवी के साथ-साथ यह जोशीला कप्तान संगीत जगत को भी कुछ देकर ही जाएगा। कहना गलत न होगा कि प्रमोद मर्चेंट नेवी में नौकरी करते—करते अपने सांगीतिक गुण को भी पॉलिश कर रहे हैं, जिसका उदाहरण है वे सैकड़ों शोज़, जिनमें प्रमोद कैप्टन के रूप में नहीं, एक सिंगर के तौर पर बुलाए जाते हैं। मर्चेंट नेवी में प्रमोद शायद ऐसे पहले कैप्टन हैं, जिन्होंने प्रोफेशन के तौर पर भी सिंगिंग को अपना लिया है जिसके चलते वह अब तक चार फिल्मों में गीत गा चुके हैं। प्रमोद का संबंध बिहार के दरभंगा से हैं। महज़ तीन वर्ष की उम्र में ही संगीत की कोपलें फूटने लगी थीं। मां रेडियो ऑन कर उनके पालने में रख देती थीं और प्रमोद संगीत को सुनकर रोते-रोते शांत हो जाते थे। संगीत ही उनके लिए वो ताकत थी, जो उन्हें काबू में रख सकती थी। प्रमोद जब बड़े हुए तो मां के साथ ही आरती और भजन में शामिल होकर उनके सुर में अपना सुर मिलने लगे। पिता एयरफोर्स में थे इसलिए कई शहरों में तबादला होता रहा जिससे प्रमोद की भी घुमक्कड़ी चलती रही और इसी घुमक्कड़ी के दौरान प्रमोद संगीत भी सीखते चले गए। गुरू उमेश कुमार पांडे से इन्होंने संगीत की तालीम हासिल की। जब नेवी के लिए सलेक्ट हुए तो जहाज़ में ही म्यूजि़क बोर्ड ले आए और शुरू कर दिया उंगलियों को नचाना।
