नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दहेज उत्पीड़न के झूठे मामलों से निपटने के लिए दहेज कानून संबंधी धारा 498 (ए) में बदलाव करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत इस अपराध को न्यायालय की अनुमति से माफी योग्य (कंपाउंडेबल) बनाया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज होने पर तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी। लेकिन सरकार ने यह भी साफ किया कि इस प्रक्रिया में महिलाओं को हासिल कानूनी संरक्षण से किसी प्रकार समझौता नहीं किया जाएगा। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लॉ कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर तथा 2 जुलाई 2014 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला लिया है। इसकी प्रक्रिया शुरू की गई है। साथ ही सिंह ने कहा कि वे सदन को आश्वस्त करते हैं कि यदि किसी भी महिला का उत्पीड़न होता है तो उसके साथ इंसाफ होगा।
इससे पहले गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि पिछले तीन सालों के दौरान दहेज उत्पीड़न के दस फीसदी मामले झूठे निकले हैं। रिजिजू ने मलीमथ समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया और कहा कि इस अपराध को कंपाउंडेबल बनाने के साथ-साथ इस प्रकार से भी बदलाव करेंगे कि पुलिस एक्शन तुरंत नहीं हो। शिकायत मिलते ही तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाए। जांच की एक प्रक्रिया पूरी करनी होगी तथा उसके बाद गिरफ्तारी होगी। रिजिजू ने कहा कि इससे भी बड़ी बात यह है कि इसे न्यायालय की अनुमति से माफी योग्य बनाया जाना। यह एक पारिवारिक मामला है। यदि परिवार में आपस में मिलने से उसका समाधान निकल जाता है तो उसकी एक व्यवस्था होनी चाहिए तथा उसके लिए एक रास्ता खुला होना चाहिए। जबकि मौजूदा प्रावधानों के तहत यह नॉन कंपाउंडेबल है तथा इसमें इस प्रकार के समाधान की गुंजाइश नहीं है।