समलैंगिक संबंधों पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए : ‘आप’
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) ने गुरुवार को कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक यौन संबंधों पर रोक लगाने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को बहाल करने वाले फैसले से निराश है। ‘आप’ द्वारा जारी एक वक्तव्य के अनुसार ‘‘सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने इस तरह दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंध को अपराध करार दे दिया।’’ वक्तव्य में आगे कहा गया है ‘‘ऐसे सभी लोगों को जो जन्म से या बाद में भिन्न यौन संबंध की तरफ झुकाव रखते हैं इस तरह पुलिस की दया पर छोड़ दिया गया है।’’ ‘आप’ ने आगे कहा ‘‘यह न सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला है बल्कि हमारे संविधान के उदार मूल्यों तथा मौजूदा समय की नब्ज के खिलाफ है।’’ ‘आप’ ने आगे कहा कि वह आशा करती है कि सर्वोच्च न्यायालय बुधवार को दिए अपने फैसले की समीक्षा करेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार 2००9 में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध को आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध करार दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था।