उत्तराखंडराज्य

समाज सेविका ने कराई अनाथ आश्रम की दो लड़कियों की शादी

हरिद्वार(ईएमएस)। प्रसिद्ध समाज सेविका और शिक्षाविद् ललित निझावन ने उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित एक अनाथ आश्रम में दो अनाथ लड़कियों की न सिर्फ शादी का पूरा खर्च उठाया, बल्कि उनला कन्यादान भी किया। दरअसल ललिता निझावन पिछले 17 वर्षों से हरिद्वार स्थित मातृ आंचल कन्या विद्यापीठ अनाथ आश्रम को यथा संभव सहयोग देती आ रही हैं। इसके तहत वे अनाथ बच्चीयों की परवरिश और शिक्षा से लेकर उनके विवाह तक सभी कार्यों में सामाजिक और आर्थिक योगदान करती हैं। इसके अंतर्गत उन्होंने इस वर्ष आश्रम की दो कन्याओं सुनीता और दीपा का आज विवाह संपन्न कराते हुए उनका कन्यादान किया।

महिला सशक्तिकरण और बाल शिक्षा क्षेत्र में 350 से अधिक पुरस्कार प्राप्त कर चुकी निझावन ग्रुप ऑफ कम्पनीज की निदेशक ललित निझावन के सफर का ये भी एक खास मुकाम है। वे इस क्षेत्र में अमेरिका और कनाडा में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। इसके अलावा वे उद्योग जगत, समाज सेवा और शिक्षा क्षेत्र में भी नए आयाम स्थापित कर रही हैं। ललिता निझावन ने इस शादी के मौके पर अपने विचार व्यक्त किए- मैं एक लड़की के प्रति समाज के लोगों की मानसिकता के बारे में जानकर चकित हूं। मुझे आश्चर्य है कि यह लोग एक लड़की के पालन-पोषण के बजाए उसे मार देना ज्यादा आसान समझते हैं। मैं खुद को भाग्यवान समझती हूं कि भगवान ने मुझे इन अनाथ लड़कियों को पालने पोसने और उनकी पढ़ाई लिखाई कराने का साहस दिया है।

सुनीता (22) जो अपनी बीए की पढ़ाई पूरी कर रही है, कि शादी विनोद से हुई जिसने एमएससी कर रखी है और आज दिल्ली की एक कम्पनी में मैनेजर के तौर पर स्थापित है। दीपा (25) ने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई करी है जिसकी शादी हरजिंदर से हुई है, जो कि हरियाणा में एक कॉन्ट्रैक्टर है। सुनीता के माता-पिता कुष्ठ रोग से पीड़ित थे और अपनी गंभीर हालत के कारण वह अपनी बेटी को इस अनाथालय में छोड़ गए थे। वहीं दीपा के माता-पिता की मौत एक हादसे में हुई थी, फिर उसके परिवार वालों ने भी उसके पालन पोषण का जिम्मा नहीं उठाया। इस अनाथालय में इन्हीं लड़कियों की तरह 90 और अनाथ लड़कियां रह रही हैं जिन्हें उनके शिशुपन में ही उनके परिवार ने धिक्कार दिया था। इन लड़कियों को इस अनाथालय ने तब सहारा दिया जब इनके माता पिता का देहांत हो गया या फिर इनके परिवार वालों ने इन्हें अकेला छोड़ दिया।इस अनाथालय में रह रही लड़कियां या तो गंगा नदी के तट पर पाई गईं हैं या फिर देहरादून की पहाड़ियों पर मिली हैं।

इस अनाथालय में रह रही लड़कियों का पालन-
पोषण हुआ, पढ़ाई कराई गई व इनके घर बसाए गए।

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