समिति स्कूलों के सैकड़ों बच्चे नाम पढऩा भी नहीं जानते!
सूरत।नगर प्राथमिक शिक्षा समिति स्कूलों में एक लाख से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं, लेकिन इनमें सैकड़ों विद्यार्थी आज भी \’अनपढ़Ó के समान हैं। ज्यादातर विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनको किताब पढऩा भी नहीं आता और वे कक्षा आठ तक के विद्यार्थी हैं। इनमें पांच-दस हजार विद्यार्थी तो ऐसे हैं जिन्हें खुद का नाम लिखना-पढऩा ही नहीं आता। यह चौंकाने वाली हक ीकत नगर प्राथमिक शिक्षा समिति की ओर से किए गए सर्वे में सामने आई है। सूरत महानगर पालिका की ओर से संचालित नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के 200 से अधिक स्कूल कार्यरत हैं। इसमें कक्षा 1 से लेकर 8 तक की शिक्षा दी जाती है।
गौरव की बात यह है कि मात्र सूरत नगर प्राथमिक शिक्षा समिति में ही सात अलग माध्यमों में (हिन्दी, गुजराती, मराठी, तेलुगू, उडिय़ा, अंग्रेजी और उर्दू) स्कूल चल रहे हैं। इनमें कक्षा 1 से लेकर 8 तक 1 लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। निजी स्कूल की ही तरह विद्यार्थियों को सुविधा प्रदान करने की कोशिश भी मनपा की समिति की ओर से की जाती है, लेकिन यह हकीकत भी स्वीकारना होगी कि इनमें हजारों विद्यार्थी ऐसे है जिनकों किताब पढऩा तो दूर उनका नाम लिखना-पढऩा भी नहीं आता हैं। समिति की ओर से हाल ही किए सर्वे में यह बात सामने आई है।
करोड़ों का बजट
शिक्षा के पीछे प्रति वर्ष मनपा की ओर से समिति के लिए करोड़ों का बजट बनाया जाता है। वर्ष 2015-16 में समिति के विद्यार्थियों के लिए 332 करोड़ का बजट पास किया था। वर्ष 2016-17 में बढ़ाकर 369 करोड़ का बजट पास किया गया है।
आंकड़े किए जाएंगे जारी
समिति की ओर ऐसे विद्यार्थियों के आंकड़े स्कूल के नाम के साथ जारी किए जाएंगे, जिससे विद्यार्थियों की इस कमी को पूरा करने के लिए शिक्षक और मेहनत कर सकें। समिति विद्यार्थियों को पढऩा सिखाने के लिए अलग से योजना भी बना रही है। साथ ही शिक्षकों पर भी कार्रवाई करने का विचार किया जा रहा है।
तैयार की जा रही है योजना
सर्वे में ही सामने आया है कि हजारों बच्चों को पढऩा नहीं आ रहा है। यह बड़ी कमजोरी है, इसमें सुधार लाने के लिए एक योजना बनाकर उसे जल्द लागू किया जाएगा।हितेष माखिजा� शासनाधिकारी, नगर प्राथमिक शिक्षा समिति
फिर आगे कैसे बढ़े!
समिति की ओर से सर्वे कक्षा 2 से लेकर 8 के विद्यार्थियों के बीच किया गया। इसमें सभी कक्षाओं में ऐसे विद्यार्थी मिले जिन्हें पढऩा नहीं आता। सवाल यह है कि फिर भी इन� विद्यार्थियों को आगे की कक्षा में कैसे बढ़ा दिया गया? विद्यार्थियों की इस कमजोरी दूर करने के लिए समिति अब जागरूक हो रही है।