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सरकारी खजाने की लूट रोकने में सफल रहे : वित्त मंत्री

66_1443751522मुंबई. जिस राज्य में सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर हर साल 73 हजार करोड़ रुपए, पेंशन पर 20 हजार करोड रुपए और कर्ज के ब्याज पर 27 हजार करोड़ रुपए खर्च होते हों, उस राज्य की आर्थिक स्थिति तनावपूर्ण ही कही जाएगी। लेकिन यह चिंताजनक नहीं है। हम इसे बेहतर स्थिति में जरूर ला सकेंगे। यह कहना है महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार का।
 
गुरुवार को भास्कर से विशेष बातचीत में मुनगंटीवार ने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति में जारी तनाव को दूर करने की जिम्मेदारी वित्तमंत्री के रूप में मुझ पर है। पिछले साल सरकार बनने के बाद से कर बढ़ाने के कई प्रस्ताव मेरे सामने लाए गए। लेकिन मैंने किसी प्रस्ताव को मान्यता नहीं दी। दुनिया भर में मंदी के दौर के कारण कर राजस्व में कमी आई। पेट्रोल औऱ डीजल के दामों में कमी आने के कारण हमें वैट पर करीब 1800 करोड़ का नुकसान हुआ। इसके अलावा एलबीटी हटाने के फैसले के कारण भी सरकार का बोझ बढ़ा। इसके बाद भी हमने चुनाव में दिए गए वादों को पूरा करने पर ध्यान दिया। टोल मुक्ति व एलबीटी हटाने के फैसले किए गए। कांग्रेस वालों की तरह वादों के बारे में यह नहीं कहा कि प्रिंटिग मिस्टेक या छपाई में गलती हुई थी।
सिर्फ शौक की चीजों पर कर बढ़ाया
 
बुधवार को किए गए कर संबंधी फैसलों के बारे में उन्होंने कहा-कर जुटाने में लगातार हो रही कमी के बीच हमने किसानों की खातिर नए कर प्रस्तावों को मंजूरी दी। जीवनावश्यक वस्तुओं पर कोई नया कर न लगाकर सिर्फ शौक की चीजों यानी शराब और सिगरेट पर कर को बढ़ाया। आनेवाले समय में कर नीतियों को और सरल करने पर हमारा जोर होगा। मेरी जिम्मेदारी है कि जनता के पैसे का सही उपयोग हो। इसकी व्यवस्था करना मेरा काम है।
अब तक खर्च के आधार पर बजट की योजना बनाई जाती थी। लेकिन अब बजट का नियोजन लक्ष्य आधारित होगा। इसके लिए बांगलादेश के नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनुस के साथ मेरी लंबी बात भी हुई है। वे माइक्रोफाइनेंस के मामले में हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। हम विषमता मुक्ति का मॉडल तैयार कर रहे हैं।
तेजी से होगा विकास :
जब वित्तमंत्री से पूछा गया कि कमजोर आर्थिक स्थिति के बीच राज्य सरकार कर्मचारियों को सातवें वेतन आय़ोग का लाभ कैसे दे सकेगी। इस पर उनका जवाब था-हमने पूंजीगत निवेश में 4 हजार करोड़ का निवेश किया है। और अगले 5 साल में हमारा कुल 40 हजार करोड़ के निवेश का इरादा है। इसके जरिए हमारा विकास तेजी से होगा औऱ इससे आर्थिक हालत में भी सुधार होगा। हमारा केंद्रबिंदु किसान व खेती है। इसी कारण हमने जलयुक्त शिवार या सिंचाई विभाग के बजट में कटौती नही की। किसानों को बिजली में राहत देने के लिए भारी रकम भी दी है। लिहाजा बेहतर आर्थिक विकास के साथ हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

 

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