उत्तर प्रदेशराज्य

सरकारें आईं और चली गईं, पर अरबों खर्च कर भी साफ नहीं हुई गोमती

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती नदी सफाई के महाभियान का शुभारंभ किया है. इस अभियान में सरकार के साथ 7 हजार कर्मचारी, लखनऊ नगर निगम, स्वयंसेवी संस्थाओं के अलावा आम लोग भी इसका हिस्सा बन रहे हैं. सरकार को उम्मीद है कि इससे गोमती फिर से निर्मल हो जाएगी. लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं है. इससे पहले भी सरकारें आईं और गोमती का कायाकल्प करने के नाम पर पैसा आवंटित हुआ, लेकिन हालात नहीं बदल पाए.

गोमती से सरकार के प्रेम के बारे में बताने से पहले आपको बता दें कि गोमती उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है. पीलीभीत जिले में माधोटान्डा से उद्गम होने के बाद यह वाराणसी के निकट सैदपुर के पास कैथी नामक स्थान तक जाती है और फिर गंगा में मिल जाती है. गोमती 900 किलोमीटर तक बहती है और इसमें तेरवना, धोबिया घाट, कथिना जैसी सहायक नदियों का पानी भी मिलता है.

पुराणों में भी गोमती का खास महत्व है. कहा जाता है कि श्रीमद‌्भागवत में गोमती को उन पवित्र नदियों में शामिल किया गया है जो मोक्ष का मार्ग है. पुराणों के अनुसार गोमती ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री है और एकादशी को इस नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं.

पौराणिक मान्यता ये भी है कि रावण वध के पश्चात “ब्रह्महत्या” के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्री राम ने भी अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के आदेशानुसार इसी पवित्र पावन आदि-गंगा गोमती नदी में स्नान किया था. यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम ने अपने अपराध का प्रायश्चित किया था.

क्या है योगी सरकार का प्लान: योगी सरकार ने इस सफाई कैंपेन के तहत लखनऊ के 7 किलोमीटर लम्बे स्ट्रेच को कवर किया जाएगा. इमसें गोमती के किनारे फैले कचरे, पॉलीथीन और कबाड़े को हटाकर अलग किया जाएगा. इसके बाद इस कूड़े को सिंचाई विभाग हटाएगा. इस पूरे अभियान को चार जोन में बांटा गया है. अपर नगर आयुक्त स्तर के अधिकारी हर जोन की निगरानी करेंगे. नगर निगम और सरकार के कई विभाग के अधिकारी भी इस अभियान में शामिल होंगे.

साथ ही गऊघाट से 1090 चौराहे तक नदी की सफाई के लिए हर 10 मीटर पर एक व्यक्ति होगा. गोमती सफाई अभियान से नाव चालको को भी जोड़ा गया है. वहीं सफाई से जो कूड़ा नदी से निकाला जाएगा, उसे तुरंत उठाने का व्यवस्था होगी और जहां-जहां मेट्रो का क्षेत्र है, वहां मेट्रो कर्मी सफाई करेंगे.

सपा सरकार ने भी थी कोशिश- योगी सरकार से पहले सपा सरकार ने भी गोमती की सफाई के लिए काफी प्रयास किए थे. गोमती के किनारों को खूबसूरत बनाने के लिए गोमती नदी रिवर फ्रंट का प्रोजेक्ट तैयार किया गया. इसे समाजवादी सरकार की बहुप्रचारित परियोजना के रूप में भी गिनाया गया. 2016 में शुरू हुई इस परियोजना में करीब 1,427 करोड़ रुपये खर्च भी हुए, लेकिन मौजूदा हालात कुछ और ही तस्वीर बयां करते हैं.

दावा है कि लखनऊ का गोमती रिवर फ्रंट शहर के अंदर गोमती नदी के दोनों तटों पर कुड़िया घाट से लेकर लामार्टिनियर स्कूल तक 12.1 किलोमीटर का रिवरफ्रंट बना है. रिवर फ्रंट को खूबसूरत बनाने के लिए गोमती किनारे पेड़-पौधे लगाये गए.

बीएसपी का प्रोजेक्ट भी हुआ था फेल- ऐसा नहीं है कि बीजेपी और एसपी ही गोमती की सफाई पर कार्य कर रहे हैं, इस मामले में बहुजन समाज पार्टी भी पीछे नहीं है. साल 2011 में गोमती की हालत देखकर बसपा सरकार ने गोमती नदी संरक्षण समिति बनाई. इस समिति ने गोमती के प्रदूषण को दूर करने के लिए हर पहलुओं पर काम करने की योजना बनाई थी. लेकिन यह योजना कागजों में ही नजर आई.

बसपा सरकार में कहा जा रहा था कि 2011 में गोमती की सफाई, गोमती के तटों को सुंदर बनाने और नदी के किनारे अतिक्रमण को रोकने के लिए प्रोजेक्ट बना. मनरेगा परियोजना से गोमती उद्गम स्थल और तालाबों की सफाई के साथ ही नदी के किनारे वृक्षारोपण के निर्देश दिए गए. लेकिन बदहाली बढ़ती गई और सरकारी योजनाएं बनीं और बंद भी हो गई और कई बड़ी-बड़ी बातें सिर्फ बातें ही रह गई.

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