राष्ट्रीय

सरकार झुकी, तीन तलाक रोकने के लिए अध्यादेश नहीं

मोदी सरकार ने फैसला किया है कि मुस्लिम वूमैन प्रोटैक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज बिल 2017 को जबरदस्ती पारित नहीं करवाया जाएगा और तीन तलाक को रोकने के लिए शीघ्र अध्यादेश भी नहीं लाया जाएगा क्योंकि राज्यसभा में यह पास नहीं हो पाया। इस मामले में सरकार का आक्रामक रवैया ठुस्स होकर रह गया और अब वह बिल पर मीठी बातें कर रही है। कहा जाता है कि सरकार सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ नए सिरे से सलाह-मशविरा शुरू करने की कोशिश करेगी। विपक्ष ने बिल की कुछ धाराओं पर गंभीर आपत्ति जताई थी। सरकार तेदेपा, बीजद और अन्नाद्रमुक के साथ भी बातचीत करेगी जो कांग्रेस के सहयोगी दल नहीं हैं मगर उन्होंने भी सरकार के खिलाफ अपना रुख जताया। वास्तव में तेदेपा सत्तारूढ़ राजद का हिस्सा है, फिर भी उसने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की कांग्रेस की मांग का समर्थन किया।

एक प्रमुख कैबिनेट मंत्री ने कहा, ‘‘हम सभी ठोस सुझावों को शामिल करने के बाद बजट सत्र में इस बिल को पारित करवाने की कोशिश करेंगे।’’ विपक्ष चाहता है कि सरकार उन सभी मुस्लिम महिलाओं को फंड उपलब्ध करवाए जो अपने पतियों के खिलाफ न्याय के लिए लड़ रही हैं और सरकार 1 फरवरी को केंद्रीय बजट में इस मुद्दे पर कुछ राशि उपलब्ध करवा सकती है। विपक्षी पार्टियों की चिंता यह है कि अगर यह कानून पारित हो जाता है तो इसका दुरुपयोग किया जा सकता है क्योंकि इससे हरेक को तीन तलाक के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार मिल जाएगा और इस संबंध में केस दर्ज हो जाएगा तथा पति गिरफ्तार हो सकता है। ये शिकायतकर्त्ता पत्नी या उसके करीबी रिश्तेदार हो सकते हैं। सरकार पहले अपने महत्वपूर्ण सहयोगी तेदेपा और अन्नाद्रमुक का विश्वास जीतने की कोशिश करेगी जो विधेयक के खिलाफ हैं तथा उसके बाद कांग्रेस से बात करेगी इसलिए वह अध्यादेश नहीं लाएगी।’’

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