टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ‘मंत्रालय टॉप नाम से एक ट्रेड मैप को तैयार कर रहा है। इसमें सभी विवरण जैसे वेराइटीज, प्राइस ट्रेंड, बिक्रेता, खरीदार और प्रोसेसर्स शामिल रहेंगे। इसके तहत सब्जी के मूल्य और मांग की भविष्यवाणी में भी मदद मिल सकेगी। अधिकारी ने बताया कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर खरीदारों और उत्पादकों से जुड़े आंकड़ों के लिए सरकार और मंत्रालय स्कॉटलैंड, रूस जैसे देशों के विशेषज्ञों के साथ संपर्क भी साधा जा रहा है।’
अधिकारी ने यह भी बताया कि इस तरह के बुनियादी कदमों से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल के किसानों को सीधा फायदा पहुंचेगा। बता दें कि इन राज्यों में क्लस्टर बनाए जाने से यहां के लाखों किसानों को सीधे फायदा पहुंचेगा।
कृषि मंत्रालय द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया, टमाटर, प्याज और आलू की टॉप योजना के तहत ऐग्रीकल्चरल प्रसेसिंग के लिए क्लस्टरों को स्थापित किया जा रहा है। मूल्य और मांग की भविष्यवाणी के अनुपात के अनुसार किसान यह तय कर पाएंगे कि अधिक फायदे के लिए किस फसल की बुआई जाए।’
सिंह ने यह भी बताया कि सरकार पिछले 4 सालों से किसानों की समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान के लिए कई प्रयास किए हैं। सरकार की नीतियों की सफलता का नजारा 2017-18 में खाद्यान्नों और अन्य कृषि उत्पादों के रेकॉर्ड उत्पादन के बाद से दिखाई देना शुरू हो गया है। यही नहीं सरकार कई राज्यों के किसानों के लोन माफ करने से लेकर फसल बीमा योजना तक मुहैया करा रही है।