सरकार ने की नए इनकम टैक्स स्लैब की घोषणा, जानिए क्या हुए हैं बदलाव
नई दिल्ली: बजट 2020 में सरकार ने उम्मीद के मुताबिक ही मध्यम वर्ग के करदाताओं को बड़ी राहत दी है। नए स्लैब की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि 5-7.5 लाख रुपये की सालाना आय पर अब मात्र 10 फीसदी कर का भुगतान करना होगा।
नए टैक्स स्लैब के मुताबिक,
A. 2.5 लाख तक की आय पहले की तरह ही कर मुक्त रहेगी और 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को 5 फीसद टैक्स देना होगा।
B. 5 से 7.5 लाख रुपये की सालाना आय पर 10 फीसदी कर का भुगतान करना होगा।
C. 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की कमाई पर 15 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा। पुरानी व्यवस्था में कर की दर 20 फीसदी थी।
D. 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की सालाना आय पर नई टैक्स व्यवस्था में 20 फीसदी का भुगतान करना होगा, जो पहले 30 फीसदी था।
E. 12.5 से 15 लाख रुपये की सालाना आय पर अब 25 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा।
F. 15 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर 30 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा।
नई टैक्स व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स सिस्टम को आसान और सरल बनाने के लिए 100 से अधिक इनकम टैक्स डिडक्शंस और छूट में से करीब 70 को खत्म कर दिया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा जिस व्यक्ति की सालाना आय 15 लाख रुपये है और वह किसी तरह के डिडक्शंस का लाभ नहीं ले रहा है, उन्हें सालाना 2.73 लाख रुपये की जगह अब 1.95 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
पुराने टैक्स स्लैब में 5-10 लाख रुपये के टैक्स स्लैब पर 20 फीसदी, जबकि 20 लाख रुपये से दो करोड़ रुपये की सालाना कमाई वाले को 30 फीसदी कर का भुगतान करना पड़ता था। वहीं, 2 करोड़ से अधिक कमाई वाले व्यक्ति को 35 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होता था।
इनकम टैक्स के पुराने स्लैब की तरह अब भी 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेेगा और 2.5 से 5 लाख रुपये की आय पर 5 फीसद कर का भुगतान करना होगा।
गौरतलब है कि पैनल ऑन डायरेक्ट टैक्स कोड ने टैक्स स्लैब का दायरा बढ़ाए जाने की सिफारिश की थी। पिछले बजट में इनकम टैक्स में किसी बदलाव की सिफारिश नहीं की गई थी। हालांकि 5 लाख रुपये तक की सालाना कमाई वाले टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये का रिबेट दिया गया था। 2019-20 के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की रकम 50,000 रुपये रखी गई थी।
बजट में की गई इन घोषणाओं से सरकार को उपभोक्ता मांग और निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। मांग और निवेश में कमी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहद खराब दौर का सामना करना पड़ा है। जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट कम होकर 4.5 फीसदी हो चुकी है।
कमजोर आर्थिक परिदृश्य की वजह से कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत के ग्रोथ रेट में कटौती कर चुकी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के ग्रोथ रेट को 5.8 फीसदी से घटाकर 4.8 फीसदी कर दिया है।