भोपाल. मध्य प्रदेश राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश में भी दो दलित आईएएस वर्ग के अफसरों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दोनों आईएएस दलित-आदिवासी फोरम के बैनर तले भोपाल में धरने पर बैठ गए हैं.
राजधानी के टीटी नगर में धरना देते हुए आईएएस रमेश थेटे और निलंबित आईएएस शशि कर्णावत ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि एमपी में अनूसूचित जनजाति और जनजाति के अफसरों और कर्मचारियों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है.
इस दौरान आईएएस रमेश थेटे ने आरोप लगाया कि उन्हें दलित होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है. इस दौरान थेटे ने भावुक होते हुए कहा कि सरकार की इस प्रताड़ना से उनके परिवार पर भी असर पड़ा है. थेटे ने कहा कि, लगातार प्रताड़ना और तनाव से उनके बच्चों की खुशी और पत्नी की खूबसूरती छिन गई है.
मैं मर जाऊंगा
अपनी बात रखते हुए आईएएस रमेश थेटे मंच पर ही रो पड़े. रुंधते गले से उन्होंने कहा कि, अब अगर सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी दिया, तो वे अन्न-जल त्यागकर मौत को गले लगा लेंगे.
वहीं, थेटे के साथ मौजूद बर्खास्त आईएएस सुश्री शशि कर्णावत ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश सरकार 27 महीने से उन्हें प्रताड़ित कर रही है. शशि का आरोप है कि सरकार ने भेदभाव करते हुए उनका वेतन भी रोक दिया है.
जानिए, थेटे का मामला
दरसअल, रिश्वत लेने के आरोप में 2008 में सेवा से बर्खास्त किए गए थेटे को हाईकोर्ट ने बेदाग साबित किया था, तब राज्य सरकार ने उन्हें वर्ष 2011 में नौकरी में वापस लेते हुए उपसचिव पुर्नवास बनाया था.
यहां से नर्मदा घाटी विकास विभाग में संचालक, अपर आयुक्त राजस्व और इसके बाद मंत्रालय में नगरीय प्रशासन एवं पर्यावरण विभाग में अपर सचिव बनाया गया था.
थेटे अपनी पदोन्नति के लिए कई बार मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव को पत्र लिख चुके थे. जिसके बाद हाल ही में सरकार ने सुपरटाइम स्केल में पदोन्नत करते हुए बाल संरक्षण आयोग में सचिव बनाया.
एक मामले से बरी होने के बाद आईएएस रमेश थेटे पर अब सीलिंग की जमीन में गड़बड़ी के आरोप हैं. जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की क्षति हुई है. सीलिंग से मुक्त करके थेटे ने सरकारी जमीन को नुकसान पहुंचाया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने थेटे के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति दी है.
शशि कर्णावत का मामला
शशि कर्णावत को मंडला के विशेष न्यायालय ने 27 सितंबर 13 को जिला पंचायत में वर्ष 1999-2000 में हुए प्रिंटिंग घोटाले में दोषी पाते हुए पांच वर्ष के कारावास और 50 लाख रुपए का जुर्माना किया था.
उनको जेल भी भेज गया था. बाद में कर्णावत जमानत पर बाहर आ गई. उस समय राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर विभागीय जांच शुरू कर दी थी. भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त होने वाली आईएएस कर्णावत प्रदेश की दूसरी महिला आईएएस हैं. इससे पहले आईएएस टीनू जोशी को बर्खास्त किया जा चुका है.