सरदारों के रात 12 बजने का ये सच जानकर गीली हो जाएगी आपकी पेंट
किसी भी कौम के नाम को लेकर उसका जोक बनाना भले ही लोगों को अच्छा लगे पर जब आप इस जोक के पीछे की कहानी को जानने की कोशिश करेगें तो हर वो लोग शर्मसार हो जायेगें. आज हम बात उस जोक की कर रहे है जो आप लोग हमेशा से ही सुनते आ रहे है। सरदारों के उपर बनाया गया जोक “रात के 12 बज गए” है।
आज हम आपको इस जुमले की हकीकत से परिचित कराते है। कि तब आप समझ सकते है कि सरदार क्या होता है।
यह बात सत्राहवीं शताब्दी की है जब देश में मुगलों का अत्याचार चरम सीमा पर था। बहुसंख्यक हिंदूओं को धर्मपरिवर्तन के नाम पर कठोर यातनाए दी जा रही थी। वेगुनाहों का नरसंहार खुलेआम किया जा रहा था। जब औरगंजेब का शासन आया तो स्थितियां सुधरने की बजायें और बदत्तर हो गई।
मुगल सैनिक बच्चों बूढ़े जवान को मार काट करने के बाद महिलाओँ की इज्जत को तर बतर करने में भी पीछें नही हटते थे। महिलाओं पर घोर अत्याचार किया जाने लगा। इन अत्याचारों से परेशान होकर काश्मीरी पंडितों ने मदद के लिये सिखों के नवमें गुरू तेगबहादूर सिंग को गुहार लगाई।
तब गुरू तेगबहादूर सिंग नें मुगल शासक औरगंजेब के दरबार में खुलेआम चेतावनी दी, कि आपके मुगल सैनिक यदि उन्हें धर्मपरिवर्तन करानें में कामयाब हो जाते है तो सारे हिदूं आपका धर्म सहज ही स्वीकार कर लेगें।
मुगल शासक औरगंजेब बेहद क्रूर और अपने कौम के प्रति कट्टर था इसलिये उसनें इस चुनौती को जल्द ही स्वीकार कर लिया। अब उसका जुर्म हिंदूओं के प्रति धर्मपरिवर्तन के नाम पर और अधिक बढ़ने लगा। चारों ओर हिंदूओं की लाशें ही लाशें नजर आने लगी। पर इस्लाम धर्म किसी ने भी कबूल नही किया।
कुछ समय तक हिंदूत्व को बचातें हुये तेगबहादूर ने भी अपने प्राणों की बलि दे दी। उनके स्थान पर अब उनके पुत्र गुरु गोविन्द सिंह नें कमान संभाल ली। और सभी हिंदूओँ की रक्षा करने के लिये अपने साथी सिक्खों के साथ मिलकर एक ऐसे समूह की स्थापना करने की ठानी। “जो किसी से ना छुपेगा और ना ही डरेगा।” और इसके साथ ही मुगल शासक के अत्याचारों से भारतीयों को बचाने के लिए लोहा लेना शुरू कर दिया।
सन 1739 में, जब नादिर शाह नें भारत पर हमला बोला। और काफी बड़ी मात्रा में खजाना लूटने के साथ कई हजार भारतीय महिलाओं को बंदी बना कर अपने साथ ले गया।
शुरू हुई रात 12 बजे की कहानी –
नादिर शाह के इस हमले की खबर जब सिख समुदाय को लगी। तब उन्होनें एक होकर हिंदूत्व को बचाने के साथ भारतीय महिलाओं की इज्जत बचाने के लिये नादिर शाह पर हमला करने की ठानी। परतुं मुगलों की सेना के आगें सिखों की सेना कमजोर होने के साथ छोटी थी पर महिलाओं को उनके चुगल से छुड़ाने के लिये रात के ठीक 12 बजे जांबाज़ दल नें लुटेरों के काफिले में हमला कर दिया। सरदारों की वीरता के आगे लुटेरे टिक ना सके। सभी महिलाओं को कैद से आज़ाद कर सुरक्षित घर पहुंचा दिया गया।
रात 12 बजें का सिलसिला जब बढ़ने लगा –
इस घटना के बाद भारत पर कई अरबी लुटेरों के साथ ईरानियों ने हमला किया। और हर बार सरदारों की टोली रात12 बजे ही हमला कर लुटेरों को मार गिराती रही और भारतीयों के हितों की रक्षा करती रही। इसी तरह धीरे-धीरे समय गुजरता रहा। लोग उनके बलिदानों को भूलने लगें । पर जब भी देश को मुसीबत पड़ी इन्हीं सरदारों नें अपनी जान की कुर्बानी देते हुए इस मिट्टी की लाज बचाई है