सर्दियों में जानलेवा भी हो सकता है अस्थमा, जानिए इसके लक्षण और उपाय
अस्थमा, सांस की एक बेहद गंभीर बीमारी है। कई बार ये जानलेवा भी साबित होती है। अस्थमा में एक इंसान की श्वास नलिकाएं प्रभावित होती हैं। दरअसल, श्वास नलिकाएं ही हमारे फेफड़ो से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। अस्थमा होने पर इन नलिकाओं में सूजन आ जाती है, जिससे ये सिकुड़ जाती हैं और फेफड़ों तक पर्याप्त हवा नहीं पहुंचा पाती हैं। इसकी वजह से मरीज़ को सांस लेने में काफी दिक्कत होने लगती है।
अस्थमा का कोई इलाज नहीं है, ये ऐसी बीमारी है जो पूरी तरह से ठीक नहीं होती, लेकिन इस पर नियंत्रण ज़रूर पाया जा सकता है। अस्थमा किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकता है। मौसम में बदलाव, धूल-मिट्टी और धुंएं जैसे कुछ विशेष परिस्थितियों में अस्थमा के अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से छाती में जकड़न, खांसी, नाक की घरघराहट और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
अस्थमा के कारण
1. अस्थमा जन्म से भी होता है। अगर आपके मां या बाप में से कोई इस बीमारी का शिकार है तो आपको भी अस्थमा होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
2. धूम्रपान इसका एक बड़ा कारण है। जो लोग सिगरेट पीते हैं उन्हें ये बीमारी होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। इसके अलावा, सिगरेट के धुंए की वजह से भी आप इसका शिकार हो सकते हैं।
3. धूल-गंदगी, ठंडी हवा, तापमान में बदलाव, खराब मौसम, फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं के लगातार संपर्क में रहने से भी इस बीमारी के चपेट में आ सकते हैं।
4. प्रिज़र्वेटिव्स का इस्तेमाल भी इस बीमारी को जन्म दे सकता है।
5. इसके अलावा, पालतू जानवरों के झड़ते बाल और रुसी, परिवार के किसी सदस्य का इस बीमारी से ग्रसित होना और कठिन एक्सरसाइज़ भी इसकी वजह हो सकती हैं।
अस्थमा के लक्षण
1. बार-बार खांसी आना और सांस लेते और छोड़ते वक्त पसलियों के बीच त्वचा का ऊपर-नीचे होना।
2. होंठ और चेहरे का रंग नीला पड़ना।
3. सांस लेने में तकलीफ होना, घरघराहट और पसीने आना।
4. छाती में दर्द महसूस होना।
5. गला खराब होना या इसमें सूजन आना।
अस्थमा से बचाने के उपाय
धूल-गंदगी और धुएं से खुद को जितना हो दूर रखें। बाहर नाक-मुंह ढककर निकलें या मास्क ज़रूर पहनें। ठंड से बचे। ठंड के मौसम में अपेन आपको पूरी तरह ढककर रखें।