ज्ञान भंडार
सर्दी में नहीं होगी वुलन की जरूरत, कपड़ों में लगेंगे सोलर सेल
‘सर्दियों में रखे हॉट’ वाले विज्ञापन खूब देखे होंगे, लेकिन अब एेसे कपड़े बनाने पर रिसर्च की जा रही है, जिससे वुलन की जरूरत ही नहीं होगी। इन कपड़ों में सोलर सेल लगे होंगे, जो सौर ऊर्जा को अवशोषित कर गर्मी का अहसास कराएंगे।
दरअसल, सोलर सेल अभी सिलिकन से बनाए जाते हैं। ये काफी मोटे होते हैं। अब इनकी जगह ऑर्गेनिक मैटेरियल, पॉलीमर और स्मॉल मॉलीक्यूल्स से बने सोलर सेल बनाए जा रहे हैं। खास बात यह है कि ये सेल इतने पतले होंगे कि इन्हें शर्ट या टीशर्ट के अंदर ही फिट किया जा सकेगा। साथ ही इनके प्रिंटर से प्रिंट भी निकाले जा सकेंगे।
एमएनआईटी में थर्मो फिजिकल प्रॉपर्टीज पर चल रही तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन मंगलवार को ये फैक्ट सामने आए। एनआईटी कालीकट से आए प्रो. प्रदीप ने पत्रिका प्लस से खास बातचीत में बताया कि अब पॉलीमर से सोलर सेल बनाए जाने पर रिसर्च की जा रही है। एनआईटी में इसकी रिसर्च जोरों पर है।
दरअसल, कंवेंशनल सिलिकन से बने एक किलोवाट के सोलर सेल के लिए लगभग चार एकड़ जमीन की जरूरत होती है। एेसे में यह ज्यादा जगह घेरते हैं, जबकि पॉलीमर से बने सेल इतने पतले होंगे कि किसी भी ग्लास, कपड़े या दीवार पर लगाए जा सकेंगे।
हालांकि सिलिकन सेल की लाइफ पॉलीमर से बने सेल से ज्यादा होती है, लेकिन पॉलीमर सेल की एफिशिएंसी 20 प्रतिशत तक ज्यादा देखी गई है। एेसे में ये काफी इफेक्टिव होंगे। इन सोलर सेल को पेरोव्स्काइट के नाम से जाना जाता है।
और क्या होगा इस्तेमाल
इन सेल को कार के शीशे की फिल्म पर लगा दिया जाए तो ये आसानी से फिट हो जाएंगे। ये कार के शीशे पर लगाई जाने वाली डार्क फिल्म जितने ही पतले होंगे। इनसे सौर ऊर्जा को बेहतर अब्जॉर्ब किया जा सकेगा। इससे कार के लिए काफी एनर्जी इकट्ठा हो सकेगी। इन सोलर सेल को आसानी से प्रिंट भी किया जा सकेगा। इनकी फिल्म किसी भी स्क्रीन प्रिंटिंग मशीन या 3डी प्रिंटर से निकाली जा सकेगी।
इलेक्ट्रिक शॉक लगा तो?
प्रो. प्रदीप कहते हैं कि हर सोलर सेल 0.6 वाट एनर्जी जनरेट करता है। एेसे में बॉडी को इलेक्ट्रिक शॉक लगने का चांस नहीं रहेगा। दूसरा, कपड़ों या अन्य जरूरत के अनुसार, हम सोलर सेल को कम या ज्यादा कर सकते हैं। इसलिए कपड़ों के मामले में इनकी संख्या कम ही रखी जाएगी।