श्रीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बृहस्पतिवार को बुलाई गई बैठक में शामिल राज्य के सभी नेता उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा पर मेहरबान दिखे। नेताओं ने न केवल सिन्हा की सराहना की बल्कि पीएम और गृहमंत्री से उन्हें राज्यपाल बनाकर पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर डाली।
बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, बैठक में सभी नेताओं को किसी भी विषय पर, कितना भी बोलने की छूट थी। पहले प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने अपनी बातें रखीं। हमने बताया कि कश्मीर में जो कुछ भी जिस तरीके से हुआ, वह नहीं होना चाहिए। सदन के अंदर गृह मंत्री ने ही आश्वासन दिया था कि हम राज्य का दर्जा बहाल करेंगे। हमने कहा कि, समय तो आ गया है। शांति भी है, सीजफायर भी है। इससे अनुकूल समय नहीं हो सकता।
पीएम के साथ हुई बैठक का एक वाकया बताते हुए आजाद ने कहा,’हम लोगों ने बैठक में यह भी बात रखी कि हम ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ नहीं है। ब्यूरोक्रेसी एक हिस्सा है डेमोक्रेसी और सरकार का, लेकिन ब्यूरोक्रेसी खुद अपने विधायक और मंत्री का काम नहीं कर सकती। ब्यूरोक्रेसी और राजनीतिक नेतृत्व को क्या काम करना है, ये सब काम संविधान में निर्धारित हैं। हमारी इस बात को पीएम ने मानते हुए कहा कि ब्यूरोक्रेसी राजनीतिक नेतृत्व का स्थान नहीं ले सकती।
क्या राज्य में एलजी का शासन नहीं होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में आजाद ने कहा,’हां हम सभी लोगों ने बैठक में खुलकर कहा कि हमें एलजी का शासन नहीं चाहिए। सभी नेताओं ने बैठक भी कहा कि अगर ये एलजी मनोज सिन्हा अच्छे व्यक्ति हैं तो इन्हें राज्यपाल बनाकर हमें राज्य का दर्जा दे दीजिए। वे राजनेता रहे हैं और राजनीति को समझते है। राजनेता के राज्यपाल होने से और गैर राजनीतिक व्यक्ति के राज्यपाल होने में बहुत अंतर होता है।