सर्वोच्च न्यायालय में सीबीआई मामले की चल रही सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश ने कहा-आज पूरी बात सुनुंगा
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में आज सीबीआई बनाम सीबीआई मामले की सुनवाई चल रही है। अदालत में सुनवाई के दौरान जोरदार बहस हो रही है। वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की तरफ से दलीलों दीं। नरीमन ने सीवीसी को भेजे गए वर्मा के जवाब लीक होने पर दलील दी कि मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकते हैं। दूसरी तरफ अंडमान ट्रांसफर किए गए अधिकारी एके बस्सी के वकील राजीव धवन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से कहा कि पिछली सुनवाई में आपने कहा था कि हमसब सुनवाई के काबिल नहीं हैं। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण था। तब चीफ जस्टिस ने धवन से कहा कि आपको पूरा सुना जाएगा। कपृया आप शांत रहें। इसपर धवन ने कहा कि वह शांत हैं। फिलहाल मामले की सुनवाई 2 बजे तक के लिए टाल दी गई है। दो बजे के बाद फिर से मामले की सुनवाई शुरू होगी। नरीमन ने शीर्ष अदालत में अपने जिरह में कहा कि पीएम, विपक्ष के नेता और सीजेआई की कमिटी की सिफारिश पर ही सीबीआई निदेशक की नियुक्ति होती है और निदेशक का कार्यकाल न्यूनतम दो साल होता है। अगर इस दौरान असाधारण स्थितियां बनती हैं और सीबीआई निदेशक का ट्रांसफर किया जाना है तो कमिटी की अनुमति लेने का प्रावधान है। नरीमन ने कहा कि उनके मुवक्किल के मामले में ट्रांसफर में नियमों का पालन नहीं किया गया। नरीमन ने कहा कि आलोक वर्मा की नियुक्ति 1 फरवरी 2017 को की गई थी। अगर उनका ट्रांसफर करना ही था तो यह अधिकार सिलेक्शन कमिटी को था। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा का सीवीसी को भेजे गए जवाब लीक होने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके अलावा सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार के आरोपों के प्रकाशित होने पर भी कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया था।
गौरतलब है कि आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ कॉमन कॉज ने सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ विशेष जांच टीम के गठन के लिए याचिका डाली है।सीबीआई बनाम सीबीआई के विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की रिपोर्ट पर सुनवाई की थी। आलोक वर्मा ने केंद्र सरकार की ओर से छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी। स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर करप्शन के आरोप लगने के बाद वर्मा ने उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया था और छुट्टी पर भेज दिया था। इसके बाद सरकार ने वर्मा को भी छुट्टी पर भेज दिया। उन पर भी करप्शन के आरोप थे, ऐसे में सरकार का कहना था कि स्वतंत्र जांच के लिए दोनों का ही छुट्टी पर जाना जरूरी है। सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ग्रीन सिग्नल। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि फैसलों में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है।