सवारियों को तरसी देश की सबसे ‘शानदार’ ट्रेन
ट्रेन के हर कोच में चार केबिन हैं और ये यात्री सैलून ख़ास शैली में सजाए गए हैं। ढोला मारू और बूंदी शैली के चित्र, जैसलमेर की हवेलियों और सोनार क़िले से लेकर, उदयपुर के शाही मयूर की झलक, यहां मौजूद है।
साथ ही खूबसूरत फर्नीचर, गलीचे, परदे, सुसज्जित बार, महाराजा और महारानी नाम से दो रेस्टोरेंट इस ट्रेन में मौजूद हैं। ट्रेन में लज़ीज़ खाना, स्पा और राजपूती साफे और पोशाक में तैनात खिदमतगार भी आपकी सेवा में लगे रहते हैं।
पूरी तरह वातानुकूलित, चैनल, म्यूज़िक, इंटरकॉम, गर्म पानी, अख़बार, पत्रिकाओं सहित अनेक सुविधाएं इस ट्रेन की ख़ासियत हैं। इस ट्रेन में स्टाफ़ के लिए अलग से दो कोच हैं।
पैलेस ऑन व्हील्स का पहला फेरा 1982 में शुरू हुआ था, शुरू के सालों में यह बहुत लोकप्रिय रही, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसका आकर्षण कम होता जा रहा है।
2007-2008 से 2013-14 के बीच इस ट्रेन के यात्रियों की संख्या में 43 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस ट्रेन को सबसे बड़ा झटका पिछले महीने लगा जब बुकिंग के अभाव में 30 मार्च का इसका फेरा रद्द करना पड़ा।
ऐसा कहा गया कि अप्रैल में दिए जाने वाले “लीन सीज़न डिस्काउंट” की वजह से यात्रियों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी थी। लेकिन अप्रैल के महीने में भी महज़ 40 प्रतिशत ही बुकिंग हो पाई। इसके लिए कुछ लोग नए यात्रा विकल्पों की तरफ लोगों की बढ़ती रूचि को ज़िम्मेदार मानते हैं
इसका एक सफ़र या एक फेरा सात दिन और आठ रातों का होता है। इसमें ड्रिंक्स के अलावा भोजन, पर्यटक स्थलों का दर्शन और घूमना शामिल है। यह ट्रेन हर साल सितंबर से अप्रैल के बीच चलती है और एक महीने में तीन से चार फेरे लगाती है।
इस ट्रेन के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय पीक सीज़न माना जाता है। यह ट्रेन राजस्थान पर्यटन विकास निगम की है और इसे भारतीय रेल के सहयोग से चलाया जाता है।