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ससुर को दिया वचन निभाने के लिए आज कैलाश से उतरकर कनखल आएंगे भोले भंडारी

कांवड़ यात्राः ससुर को दिया वचन निभाने के लिए भगवान शिव शंकर आज कैलाश से उतरकर कनखल आएंगे। पढ़िए कांवड़ यात्रा से यह जुड़ी पूरी कहानी .. .ससुर को दिया वचन निभाने के लिए आज कैलाश से उतरकर कनखल आएंगे भोले भंडारी

ब्रह्मापुत्र राजा दक्ष और सृष्टि नियंता भगवान शंकर के बीच भले ही जीवन भर साम्य न रहा हो, किंतु भोले भंडारी राजा दक्ष को दिया वचन निभाने के लिए कैलाश से उतकर आज कनखल नगरी आ जाएंगे। एक महीने तक वे दक्ष मंदिर में स्वयं शिवत्व त्यागकर दक्षेश्वर बन जाएंगे। उनके आने के साथ ही श्रावण की हर-हर और बम-बम प्रारंभ हो जाएगी। देश के कण-कण में महारुद्र के गीत गूंज उठेंगे।  

भगवान शिव ने अपने ससुर राजा दक्ष को पुनर्जीवन देते हुए वचन दिया था कि वे श्रावण का महीना दक्ष की नगरी में दक्षेश्वर बनकर विराजेंगे। काल के आदिखंड में घटी उस घटना का वरदान भगवान आशुतोष आज तक निभा रहे हैं। भोलेनाथ को रिझाने के लिए देश भर से शिव भक्त उनकी गंगा नगरी पहुंचते हैं और गंगा जल से देश भर के शिवालयों में भगवान का अभिषेक करते हैं। कनखल नगरी ब्रह्मापुत्र राजा दक्ष प्रजापति की राजधानी थी। इस नगरी में भूतभावन दक्ष पुत्री सती को ब्याहने आए थे। पुत्री प्रेम में फंसे दक्ष ने अनिच्छा से अपनी पुत्री के साथ शिव का विवाह किया। 

वास्तव में राजा दक्ष ब्रह्मा के इकलौते पुत्र होने के कारण बड़े अभिमानी थे। एक बार जब वे अपने पिता सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के दरबार में पहुंचे तो उनके सम्मान में सभी देव उठ खड़े हुए थे। भगवान शंकर अनादि देव होने के कारण ब्रह्मा और विष्णु के साथ बैठे रहे। यह दृश्य देखकर दक्ष ने शिव से बैर पाल लिया, जिसे उन्होंने जीवन पर्यन्त निभाया।

बाद में लंबे घटनाक्रम के बाद दक्ष के यज्ञ में उनकी पुत्री सती अपमान की अग्नि में दग्ध हो गई। तब शिव गण वीरभद्र ने क्रुद्ध होकर दक्ष की गर्दन काट दी। देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने उनके कटे धड़ पर बकरे का सिर जोड़कर जीवनदान दिया। पुनर्जीवित हुए दक्ष का सारा अहंकार जाता रहा। उन्होंने सृष्टि के अनादि देव भगवान शिव से वचन लिया कि वे दक्षेश्वर बनकर श्रावण के महीने में हर वर्ष कनखल आएंगे।  

दक्ष को दिया वही वचन निभाने के लिए नीलकंठ भगवान आज शनिवार को कनखल आ रहे हैं। उनके आते ही उनकी ससुराल में रोनक प्रारंभ हो जाएगी। कही शंख-घरनावल बजेगे तो कही भोल भंडारी के भजन गाए जाएंगे। हरिद्वार में हर-हर महादेव और बम-बम महादेव का जयघोष प्रारंभ हो जाएगा। कहावत है कि श्रावण मास में हर कंकर शंकर में बदल जाता है। 

इसी नगरी से इसी श्रावण में भगवान परशुराम जलाभिषेक के लिए पाषाण लेकर गए थे। करोड़ों शिव भक्त इस पूरे महीने कनखल के साथ-साथ देश के शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे। कांवड़ यात्रा के साथ अनेक धर्मयात्राएं पूरे देश में शुरु हो जाएंगी। 

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