देहरादून में सस्ते टूर पैकेज का झांसा देकर लोगों को ठगने वाले गैंग का पुलिस ने खुलासा किया है। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
देहरादून: गोवा सहित देश के तमाम पर्यटन स्थलों में सस्ते टूर पैकेज का झांसा देकर लोगों को ठगने वाले गैंग का खुलासा करते हुए पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में एक महिला भी शामिल है। मैजिक यात्रा कंपनी के नाम से वेबसाइट तैयार कर आरोपी दर्जनों लोगों को चूना लगा चुके हैं। आरोपी आकर्षक टूर पैकेज के नाम पर लोगों से अपने अकाउंट में पैसा जमा करवाते थे। इसके बाद बुकिंग कैंसिल हो जाने की बात कहकर पैसे हड़प लेते थे।पुलिस के मुताबिक 21 दिसंबर को प्रेमनगर विंग नंबर-एक निवासी सागर चांदना ने थाना प्रेमनगर में शिकायत दर्ज कराई थी। बताया था कि गोवा के लिए टूर पैकेज बुक कराने के नाम पर एक कंपनी ने उनसे हजारों रुपये ठग लिए। एसपी सिटी अजय सिंह ने बताया कि शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की थी। प्रथम दृष्ट्या फर्जी वेबसाइट बनाकर टूर पैकेज के नाम पर लोगों को ठगने की बात सामने आई।
इसके बाद ठगों की गिरफ्तारी के लिए एसओजी और थाना प्रेमनगर की संयुक्त टीम का गठन किया गया। फर्जी वेबसाइट, मोबाइल नंबर, अकाउंट नंबर और पीड़ित के पास आई ईमेल को सर्विलांस के माध्यम से ट्रैक किया गया।बीते बुधवार रात्रि को पुलिस टीम द्वारा नोएडा (उप्र) के सेक्टर-62 में एक कॉल सेंटर पर छापा मारकर सेंटर संचालक मास्टर माइंड लवप्रीत पुत्र दशरथ सिंह निवासी तरावड़ी करनाल हरियाणा, अनिल कुमार पुत्र रणवीर सिंह निवासी आदर्श निकेतन खोड़ा कॉलोनी गाजियाबाद, मनीष कुमार मिश्रा पुत्र उपेंद्र मिश्रा निवासी वंदना विहार खोड़ा गजियाबाद, सुनील कुमार पुत्र रामबाबू निवासी वंदना विहार खोड़ा गाजियाबाद व विजय नगर गाजियाबाद निवासी एक महिला को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से 22 कंप्यूटर, पांच मोबाइल फोन व फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए।
छह महीने पहले बनाई गई थी कंपनी
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि मैजिक यात्रा वेबसाइट करीब छह माह पूर्व लवप्रीत द्वारा बनाई गई थी। वेबसाइट के माध्यम से आरोपी देशभर में सस्ते टूर पैकेज की स्कीम उपलब्ध कराते थे। लोग झांसे में आकर वेबसाइट पर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके स्कीम के बारे में जानकारी हासिल करते थे। झांसे में लेकर लोगों से फर्जी अकाउंट में छोटी-छोटी किस्तों में रकम डलवा लेते थे। बताया कि एक माह में करीब 10 से 12 लाख रुपये का कलेक्शन कर लिया जाता था।