सहिष्णुता हमारी मिट्टी में है, सुनिए! वाजपेयी के 5 ऐतिहासिक भाषण
रायपुर. छत्तीसगढ़ पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण आज भी देश के विभिन्न मुद्दों के लिए प्रासंगिक हैं. देश में असहिष्णुता और गठबंधन की राजनीति, भ्रष्टाचार के मुद्दों पर आज भले ही संसद में ठप हो जाती है. नेता एक दूसरे के बात सुनने के लिए राजी न हों लेकिन वो वाजपेयी का दौर था जब वो बोलते थे तो पूरी संसद और देश सुनता था.
वाजपेयी 50 सालों से ज्यादा समय तक संसदीय राजनीति का हिस्सा रहे हैं. उनका पूरा राजनीतिक जीवन बेदाग था. उन्होंने राजनीति का अजात शत्रु कहा जाता है क्यों कि उनको विरोधी दल के नेता भी सम्मान करते थे.
असहिष्णुता के मुद्दे पर वाजपेयी
वाजपेयी ने कहा था कि देश की मिट्टी में असहिष्णुता है. हमने दूसरे देशों से आए लोगों को भी अपनाया है इस पर विचार करने की जरूरत है.
गठबंधन की राजनीति
देश में वाजपेयी ऐसे नेता हैं जो पहली बार गठबंधन की राजनीति को लेकर आए थे और लगातार 6 सालों तक सरकार चलाई. उनका कहना था कि देश के लिए कई बार में हमें मुद्दों पर समझौता करना पड़ता है. लेकिन देश को अभी भी साथ मिलकर कैसे काम किया जाता है ये सोचना पड़ेगा.
जोड़-तोड़ की राजनीति
वाजपेयी हमेशा जोड़-तोड़ की राजनीति से दूर रहे. उनकी सरकार एक बार संसद में एक वोट से गिर गई थी. उनका कहना था कि मैं मृत्यु से नहीं डरता हां बदनामी से जरूर डरता हूं.
ऐतिहासिक इस्तीफा
वाजपेयी जब 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने थे तो सदन में उनका भाषण भारत की राजनीति में हमेशा के लिए अमर हो गया. ये वो दौर था जब वाजपेयी का भाषण सुनने के लिए गलियां और सड़कें तक सूनी हो गईं.
सांप्रदायिकता पर अटल जी के विचार
सांप्रदायिकता के मुद्दे पर अटल जी हमेशा कहते हैं कि ये दोधारी तलवार है. भारत में अनेक मत हैं. उनका सम्मान होना चाहिए. हमारे यहां एक पैगंबर नहीं हैं. देश में ईश्वर की सत्ता को मानने और नकारने वाले भी हैं.