उप्पल साउथ एंड निवासी डॉ. श्रीप्रकाश सिंह ने हत्याकांड को अंजाम देने से पहले काफी तैयारी की थी। मौके के हालात से साफ होता है कि उन्होंने हत्या के लिए न केवल मांस काटने चाकू की व्यवस्था की बल्कि हथौड़े से लेकर फांसी लगाने के लिए प्लास्टिक की रस्सी का भी जुगाड़ किया था। किस तरह फंदा लगाने पर मौत हर हाल में हो, इस बारे में भी गहराई से जानकारी हासिल की थी, क्योंकि फंदे की गांठ कुछ विशेष प्रकार से थी।
हत्याकांड को जिस तरह से अंजाम दिया गया, उससे साफ दिख रहा है कि किसी घटना की त्वरित प्रतिक्रिया नहीं थी बल्कि आरोपित के भीतर पूरा गुबार भरा था। चाकू, हथौड़ा एवं विशेष प्रकार की रस्सी फांसी लगाने के लिए खरीदकर लाना यह साफ दर्शाता है। जांच में शामिल अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि किस दुकान से वारदात में प्रयुक्त सामान खरीदे गए। दुकान की पहचान होने के बाद काफी हद तक स्थिति साफ हो जाएगी।
कुत्ते के ऊपर नहीं किया हमला
डॉ. श्रीप्रकाश सिंह व उनका परिवार कुत्तों का शौकीन था। उनके पास चार पग (चीनी) नस्ल के कुत्ते हैं। चारों कुत्ते पूरी तरह सुरक्षित थे। पुलिस ने सभी को अपने कब्जे में ले लिया है। बताया जाता है कि हत्याकांड के बाद दो कुत्ते पूरी तरह शांत थे जबकि दो भौंक रहे थे। एक कुत्ता डॉ. सोनू सिंह (कोमल सिंह) के शव के पास बैठा था जबकि एक डॉ. श्रीप्रकाश सिंह के शव के नजदीक। दो कुत्ते ड्राइंग रूम में इधर-उधर भाग रहे थे। चार कुत्ते रखने से भी साफ है कि डॉ. श्रीप्रकाश सिंह आर्थिक रूप से काफी मजबूत थे। नौकरी जाने से उन्हें किसी भी प्रकार की आर्थिक परेशानी थी, ऐसा नहीं लग रहा है। यह भी बताया जाता है कि उनके नाम गुरुग्राम के बाहर भी प्रॉपर्टी है।
सबसे अधिक पत्नी के ऊपर किया हमला
डॉ. श्रीप्रकाश सिंह ने सबसे अधिक अपनी पत्नी डॉ. सोनू सिंह के ऊपर हमला किया। उनके सिर पर चोट मारने के साथ ही शरीर के कई हिस्सों पर 19 बार चाकू व हथौड़े से हमला किया। गले पर चाकू से वार किया। बेटे आदित्य के सिर पर चोट मारने के साथ ही गर्दन के पीछे चाकू से हमला किया गया। बेटे के शरीर पर कुल 12 जगह चोट के निशान पाए गए।
बेटी अदिति के सिर पर चोट मारने के साथ ही शरीर के अन्य भाग पर भी चोट के निशान मिले। घटना रविवार रात 12 बजे से दो बजे के बीच की है। यह जानकारी पोस्टमार्टम से सामने आई है। पोस्टमार्टम करने वाली टीम के लीडर डॉ. दीपक माथुर ने बताया कि आधे घंटे के भीतर ही सभी की हत्या की गई।
डॉ. श्रीप्रकाश सिंह के ब्लड व लीवर का सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजा गया है। इससे पता चल सकेगा कि वह नशे में थे या नहीं। सेक्टर-50 थाना प्रभारी शाहिद अहमद ने बताया कि मामले की जांच पूरी गहनता से की जा रही है। पुलिस घर से मिले सभीमोबाइल फोन की कॉल डिटेल भई निकलवा रही है।
घरेलू सहायिका ने दी घटना की खबर
सन फार्मा कंपनी में साइंटिस्ट एवं आरएंडडी शाखा के हेड रहे डॉ. श्रीप्रकाश सिंह ने रविवार देर रात पत्नी, बेटी और बेटे की हत्या कर फंदे से लटककर खुदकशी कर ली। घटना का पता तब लगा जब सुबह घरेलू सहायिका आई। सुबह करीब साढ़े छह बजे घरेलू सहायिका शेफाली काम करने पहुंचीं और करीब 10 मिनट तक घंटी बजाती रहीं पर अंदर से कोई जवाब नहीं आया। अंदर केवल पालतू कुत्ते भौंक रहे थे।
शेफाली ने डॉ. श्रीप्रकाश के पड़ोसी आरके माथुर को इसकी सूचना दी और माथुर ने डॉ. श्रीप्रकाश को फोन लगाया, लेकिन फोन बंद था। फिर उन्होंने डॉ. सोनू सिंह को वाट्सएप किया और जवाब नहीं मिलने पर पुलिस को सूचना दी। सेक्टर-50 थाना पुलिस ने भी कुछ देर तक फ्लैट की घंटी बजाई और जवाब नहीं मिलने पर शौचालय के साथ लगी खिड़की की ग्रिल उखाड़कर घरेलू सहायिका को अंदर भेजा। अंदर शव पड़े थे।
सेक्टर-50 थाना पुलिस ने मृतका डॉ. सोनू सिंह की बहन सीमा अरोड़ा की शिकायत पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। साथ ही शवों का पोस्टमार्टम करा दिया है। अब डॉ. श्रीप्रकाश सिंह के परिजनों के आने का इंतजार किया जा रहा है।
नहीं रुक रहे डॉ. सोनू सिंह की बहनों के आंसू
सोमवार शाम पोस्टमार्टम कराने के लिए डॉ. श्रीप्रकाश सिंह की सालियां यानी उनकी पत्नी डॉ. सोनू की बहनें सीमा एवं मोनिका पहुंचीं। दोनों दिल्ली में रहती हैं। दोनों की आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। सेक्टर-50 थाना प्रभारी शाहिद का कहना है कि पोस्टमार्टम करा दिया गया है। रिश्तेदार शव मंगलवार को ले जाएंगे। हो सकता है डॉ. श्रीप्रकाश सिंह के परिजन मंगलवार को गुरुग्राम पहुंचे। परिजनों से ही कुछ जानकारी निकलकर सामने आए गी।
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक?
द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय की मनोवैज्ञानिक डॉ. गरिमा यादव का कहना है कि मुझे लगता है, यह घटना शहरी लाइफस्टाइल की देन है। दोस्तों, परिवार व समाज के दबाव में लोग अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में विफल होने लगते हैं और धीरे-धीरे यह दबाव कुंठा बन जाती है। हम मान लेते हैं कि पॉश सोसायटी में रहने वाले लोग आर्थिक रूप से समृद्ध हैं और उन्हें कोई तंगी नहीं है। लेकिन लाइफस्टाइल को मेनटेन करने में कितनी जद्दोजहद होती है, वह कोई तीसरा व्यक्ति नहीं आंक सकता।
दूसरा पहलू यह होता है कि किसी दूसरे शहर से गुरुग्राम जैसे शहर में फिट होने के लिए लोगों को बहुत जूझना होता है। बाजारवाद और भौतिकतावाद इंसान को खोखला करती हैं।
मनोचिकित्सक डॉ. आशीष कुमार ने कहा कि वैसे तो इस तरह की घटना मुख्य रूप से अवसाद की तरफ इशारा करती है, लेकिन घटना जिस क्रूरता से हुई है उसमें केवल अवसाद वजह नहीं मानी जा सकती। इसके लिए आर्थिक तंगी जैसा मामला नहीं होगा। यह मनोरोग के केस में हो सकता है। आज के दौर में छोटी-छोटी परेशानियों को लोग बड़े रूप में देखने लगते हैं। इसी का नतीजा है कि लोगों में हिंसक प्रवृति पनपने लगती है