![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2018/11/Untitled-34-copy-9.png)
लखनऊ : लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनने से पहले ही खत्म होता दिख रहा है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती के तेवर दिखाने के बाद अब समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को इशारों-इशारों में चेतावनी दे दी है। ‘महागठबंधन’ बनने पर अखिलेश यादव ने कहा, ‘अगर साइकिल (सपा का चुनाव चिन्ह) को रोकोगे तो आपका हाथ (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) हैंडल से हटा दिया जाएगा।’ अखिलेश यादव ने शनिवार को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कही। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘…इसलिए हमने भी तय किया है कि साइकिल को रोकोगे तो आपका हाथ हैंडल से हटा दिया जाएगा…कंट्रोल और किसी के साथ हो जाएगा।’ अखिलेश ने इस बयान के जरिए साफ संकेत दे दिया है कि 2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह मुश्किल है, अगर कांग्रेस ने सपा की सहमति से अलग कोई फैसला लिया, तो संभव है कि कांग्रेस को सपा बड़ा झटका दे दे। बता दें बीएसपी-एसपी का पहले से ही गठबंधन है। इन बयानों से कांग्रेस की यूपी में महागठबंधन की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। वहीं दूसरी तरफ बसपा के कड़े रुख से समाजवादी पार्टी पर भी दबाव बढ़ता दिख रहा है।
लखनऊ के सत्ता के गलियारे में महागठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि बसपा तो सीटों को लेकर समझौता करने वाली नहीं, लिहाजा देखना ये होगा कि अखिलेश यादव कितनी सीटों पर राजी होते हैं? वहीं महागठबंधन में अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल भी हिस्सा है। ऐसे में उसके लिए सीटों की गणित क्या बनेगी? क्या सपा रालोद को अपने हिस्से से सीट देगी या गठबंधन में तीन मुखी फार्मूला तैयार किया जाएगा? दरअसल, यूपी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के तुरंत बाद महागठबंधन बनाने को लेकर कांग्रेस और जेडीयू के बयान आए थे। लेकिन साथ ही नेता कौन होगा, इस पर भी बयानबाजी शुरू हो गई। कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी के अलावा और कोई नेता नहीं हो सकता तो जेडीयू ने कहा कि मोदी को सिर्फ नीतीश ही टक्कर दे सकते हैं। बाद में नीतीश का भी बयान आया कि अगर यूपी में कांग्रेस-बसपा और सपा मिलकर लड़े होते तो बीजेपी से 10 प्रतिशत ज्यादा वोट पाते। महागठबंधन के नाम पर अगर ये दो दर्जन से ज्यादा पार्टियां एक हो भी जाती हैं तो इनके कार्यकर्ता कितने साथ आएंगे ये फैक्टर भी अहम होगा। यूपी में सपा-कांग्रेस ने मिलकर चुनाव तो लड़ा लेकिन कई सीटों पर दोनों दलों के उम्मीदवार मैदान में उतर गए। चुनाव में हार के तुरंत बाद कई उम्मीदवारों ने एक-दूसरे की पार्टियों पर भितरघात की आरोप लगाना शुरू कर दिया।