सामना में शिवसेना ने लिखा कि- अलगाववादी नेताओं को पाक पसंद है, इन पर सख्त कार्रवाई हो…
मुंबई : शिवसेना ने जम्मू और कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की हैं. सामना में लिखा है कि सैयद गिलानी का भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. इस वीडियो में ये महाशय ‘हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है’, ऐसा जहर उगल रहे हैं.
सामना में लिखा है कि इस्लामी आतंकवादी संगठन और उनके सरदार हों या उनके लिए जम्मू-कश्मीर में बिलबिलानेवाले अलगाववादी हों, ये सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं. अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठन ये देश के खुले दुश्मन हैं. हालांकि गिलानी, आसिया अंद्राबी, बिलाल लोन, मीरवाइज उमर फारुख और अन्य अलगाववादी नेताओं का भी पाकिस्तान प्रेम समय-समय पर हिलोरे मारता रहता है.
सामना में शिवसेना ने लिखा है कि पाकिस्तानी राष्ट्रगीत गाकर चर्चा में आई ‘दुख्तरान-ए-मिल्लत’ संगठन की अलगाववादी महिला नेता आसिया अंद्राबी का घर आतंकवादियों को आर्थिक मदद करने के कारण ‘सील’ कर दिया जाता है. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों पर कार्रवाई, ऐसे संगठनों, उनके नेताओं और पाक समर्थित आतंकवाद के विरोध में कड़े कदम उठाए हैं. इसके बावजूद गिलानी जैसा नेता पाकिस्तान प्रेम की फुंफकार मारता है. पाकिस्तान के प्रति इतना ही प्रेम जागा हो तो वो अपना पिछवाड़ा हिलाए और पाकिस्तान जाकर रहे. हिंदुस्थान सरकार की सभी सुविधाओं का लाभ लेते रहना और हिंदुस्थान द्रोह की बात करना.
दूसरी ओर कश्मीर की कमर तोड़कर पाकिस्तानियों की मदद करते रहना. अपने बच्चों की शिक्षा और नौकरी विदेश में करवाना और कश्मीर के युवक-युवतियों को हिंदुस्थान द्वेष से भड़काना. हमारे सैनिकों पर फेंकने के लिए उनके हाथों में पत्थर देना. अपने बच्चों का जीवन संवारना और कश्मीरी युवकों का बिगाड़ना. कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का कई वर्षों से यही धंधा शुरू है.
इस्लामी आतंकवादी और कश्मीर के अलगाववादी, इन दोनों का ‘उद्देश्य’ कश्मीर का टुकड़ा पाकिस्तान के गले में डालना है. उसके लिए एक ओर जिहाद का आतंकवाद और दूसरी ओर गिलानी जैसों के अलगाववाद को पाला-पोसा जाता है. इन सभी को पाकिस्तान की ओर से किस प्रकार बहुत सारा पैसा दिया जाता है, यह फिलहाल जेल में बंद आसिया अंद्राबी नामक महिला नेता ने कबूल किया है.
सैयद गिलानी जैसे नेताओं के पाकिस्तान प्रेम का अंकुर भी इसीलिए फूट रहा होगा. कश्मीर जैसे नंदनवन में ये अलगाववादी परजीवी हैं. उनकी आर्थिक नाकेबंदी करके या उनकी नसें दबाकर कुछ नहीं होगा, उनकी पूरी सफाई करनी ही होगी. सामना का मतलब साफ है कि ऐसे लोग जो कश्मीर में रहकर देश का खाते हैं और पाकिस्तानी राग अलापते हैं उनके खिलाफ सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर ही बल्कि सभी मोर्चो पर कार्रवाई होनी चाहिए.