सार्थक व सफल जीवन की कुंजी है पुस्तक ‘12 महीने 365 दिन’
प. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ की 15वीं पुस्तक ‘12 महीने 365 दिन’ का भव्य विमोचन
लखनऊ। साहित्यकार व लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ की 15वीं पुस्तक ‘12 महीने 365 दिन’ का विमोचन आज यशपाल सभागार, उ.प्र. हिन्दी संस्थान में बड़ी धूमधाम से सम्पन्न्न हुआ। जहाँ एक ओर पूर्व मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन, आई.ए.एस., प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी, प्रदीप कुमार दुबे, प्रमुख सचिव, विधानसभा, उ.प्र., प्रो. एस. पी. सिंह, वाइस चांसलर, लखनऊ विश्वविद्यालय, सुनीता ऐरन, वरिष्ठ स्थानीय संपादक, हिन्दुस्तान टाइम्स, आशुतोष शुक्ला, संपादक, दैनिक जागरण, उ.प्र, मनोज तोमर, संपादक, राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ, रमा आर्य ‘रमा’, प्रख्यात कवियत्री एवं टी पी हवेलिया, समाजसेवी आदि मंचासीन हस्तियों ने मंच पर फीता खोलकर पुस्तक का विमोचन किया तो वहीं दूसरी ओर खचाखच भरे ऑडिटोरियम में उपस्थित दर्शकों ने अपनी-अपनी सीट पर खड़े होकर एक साथ पुस्तक को स्वयं विमोचित कर एक अभूतपूर्व दृश्य उपस्थित किया। विमोचन समारोह का यह एक ऐसा अनूठा दृश्य था जो निश्चित रूप से दिलो-दिमाग में सदैव यादगार रहेगा। विमोचन समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद् एवं सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक डा. जगदीश गांधी ने की एवं मंचासीन विशिष्ट अतिथियों एवं लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उ.प्र. हिन्दी संस्थान की वरिष्ठ अधिकारी डा. अमिता दुबे ने अपनी ओजस्वी वाणी में समारोह का संचालन कर विमोचन समारोह को कभी न भूलने वाला ऐतिहासिक गौरव प्रदान किया।
इससे पहले, विमोचन समारोह का शुभारम्भ ईश वंदना से हुआ। इसके उपरान्त पुस्तक के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने अपने पूज्यनीय माता-पिता की आरती कर युवा पीढ़ी को अनूठा संदेश दिया। संगीतमय वातावरण एवं मधुर ध्वनियों में माता-पिता की सुमधुर आरती ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आरती की रचना स्वयं पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने की है। इस अवसर पर उपस्थित विद्वजनों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन करते हुए पुस्तक के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने कहा कि मैं सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ जिनके अपार स्नेह व सहयोग की बदौलत ही 15 पुस्तकों का लेखन संभव हो सका है। श्री शर्मा ने कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि मैं पाठकों की भावनाओं के अनुरूप रचनात्मक लेखन करता रहूँगा और समाज के हर पहलू को आपके सामने पुस्तक के माध्यम से परोसने का सतत प्रयास करता रहूँगा।
विमोचन समारोह में बोलते हुए पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, आई.ए.एस., ने कहा कि यह पुस्तक रचनात्मक व सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत है जो समाज के सभी वर्गो में आत्मबल का संचार करेगी। वास्तव में यह पुस्तक जीवन जीने का एक नया अंदाज सिखाती है। प्रदीप कुमार दुबे, प्रमुख सचिव, विधानसभा, उ.प्र. ने कहा कि यह पुस्तक जीवन की भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में पाठकों का मार्गदर्शन करने में सक्षम है। प्रो. एस. पी. सिंह, वाइस चांसलर, लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने संबोधन में कहा कि यह पुस्तक सपनों की दुनिया से जगाकर वास्तविकता से परिचय कराती है। इसके अलावा, नैतिकता व सामाजिकता का ज्ञान देते हुए अपने कर्तव्य बोध से अवगत कराती है। सुनीता ऐरन, वरिष्ठ स्थानीय संपादक, हिन्दुस्तान टाइम्स का कहना था कि युवा पीढ़ी बहुत तेजी से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ना चाहती है परन्तु इसके लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता है। शर्मा जी की यह पुस्तक इसी आवश्यकता को पूरा करती है। आशुतोष शुक्ला, संपादक, दैनिक जागरण, उ.प्र. ने कहा कि पूरी पुस्तक में रचनात्मक व सकारात्मक दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी गई है। पुस्तक में दिये गये छोटे-छोटे वाक्य अपने आप में गहरा निहितार्थ समेटे हुए हैं जिसे समझकर आज की पीढ़ी अपने जीवन को संवार सकती है। मनोज तोमर, संपादक, राष्ट्रीय सहारा ने कहा कि पं. शर्मा का लेखन सदैव से ही प्रभावशाली रहा है एवं आपकी सरल, सुबोध लेखन शैली निश्चित ही युवा पीढ़ी को आकर्षित करेगी।
श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’, प्रख्यात कवियत्री ने कहा कि यह पुस्तक मात्र एक पुस्तक ही नहीं अपितु छोटा-मोटा ग्रंथ है जिनमें जीवन की सूक्तियाँ समेटी गई हैं। समाजसेवी टी.पी. हवेलिया का कहना था कि इस पुस्तक को पढ़कर भावी पीढ़ी अपने जीवन को संवार सकती है। प्रख्यात शिक्षाविद् व सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक डा. जगदीश गांधी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि पं. शर्मा सिर्फ लेखक ही नहीं अपितु किशोरों व युवाओं के लिए मार्गदर्शक भी हैं। पं. शर्मा जी ने इस पुस्तक के माध्यम से जिस प्रकार जमीनी हकीकत से हमारा साक्षात्कार कराया है वह बहुत कुछ सोचने पर विवश करता है। मैं जोर देकर कहना चाहूँगा कि समाज के अधिकाधिक लोगों तक यह पहुंचे जिससे सभी को जीवन को सही नजरिये से देख व समझ सकें।