सर्वशक्तिमान परम पिता परमात्मा एक है परंतु उसके रुप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रूपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वे गुणातीत और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रूप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं वहीं विष्णु रूप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रुप में वह सृष्टि का संहार भी करते हैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हुए शिवलिंग का पूजन करते हैं।
कैसे करें व्रत?
प्रत्येक सोमवार को मंदिर जाकर शिव परिवार की धूप, दीप, नेवैद्य, फल और फूलों आदि से पूजा करके सारा दिन उपवास करें। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर उनका दूध से अभिषेक करें। शाम को मीठे से भोजन करें। अगले दिन भगवान शिव के पूजन के पश्चात यथाशक्ति दान आदि देकर ही व्रत का पारण करें। अपने किए गए संकल्प के अनुसार व्रत करके उनका विधिवत उद्यापन किया जाना चाहिए। जो लोग सच्चे भाव एवं नियम से भगवान की पूजा, स्तुति करते हैं वह मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। इन व्रतों में सफेद वस्त्र धारण करके सफेद चन्दन का तिलक लगाकर ही पूजन करना चाहिए तथा सफेद वस्तुओं के दान की ही सर्वाधिक महिमा है।
दान करने वाली वस्तुएं- बर्फी, सफेद चन्दन, चावल, चांदी, मिश्री, गाय का घी, दूध, दही, खीर, सफेद पुष्पों का दान सायंकाल में करने से जहां मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं घर में खुशहाली भी आती है।
क्या खांए- खीर ,पूरी, दूध दही, चावल। व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए।
किस मंत्र का करें जाप- ‘ओम नम: शिवाय,’ के अतिरिक्त चन्द्र बीज मंत्र ‘ओम श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रयसे नम:’ और चन्द्र मूल मंत्र ‘ओम चं चन्द्रमसे नम:’।
व्रत से मिलने वाले लाभ- मानसिक सुख एवं शांति का प्रसार होगा। व्यापार में वृद्घि होगी, परिवार में खुशहाली आएगी। जिस कामना से व्रत किया जाऐगा वह अवश्य पूरी होगी।
(वीना जोशी)