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सिंगापुर में PM मोदी ने कहा- अगर भारत-चीन साथ मिलकर काम करें तो बेहतर होगा दुनिया का भविष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सिंगापुर के शांगरी ला डायलॉग को संबोधित किया. उन्‍होंने कहा कि, हजारों सालों से भारतीय पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं. सिर्फ सूरज को देखने के लिए नहीं, बल्‍कि ये प्रार्थना करने को भी कि सूरज की रोशनी पूरे विश्‍व में फैले. भारत-प्रशांत क्षेत्र का विकास दुनिया को प्रभावित करेगा.

उन्होंने कहा, ‘तीन साल पहले मैंने मॉरीशस में हमारे विजन को एक शब्‍द में बताया था- ‘सागर’. SAGAR को सिक्‍योरिटी एंड ग्रोथ फॉर आल इन रिजन के तौर पर देखना चाहिए. ये एक्‍ट ईस्‍ट पॉलिसी के तहत हमारा विजन है.’

पीएम ने कहा, ‘सिंगापुर आसियान के लिए हमारा स्‍प्रिंगबोर्ड है. पूर्व वैदिक काल से ही भारतीय चेतना में महासागरों की एक महत्वपूर्ण जगह थी. हिंद महासागर ने भारत के अधिकांश इतिहास को आकार दिया है. और अब हमारे भविष्‍य की चाभी भी इसके पास है.’

मोदी ने कहा, ‘हम सभी दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के साथ, राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा संबंधों को बढ़ा रहे हैं. भारत और चीन के संबंधों से एशिया और दुनिया का भविष्‍य बेहतर होगा.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा मुख्य मिशन 2022 तक भारत को न्‍यू इंडिया में बदल देना है. यह युग अंतर-निर्भरता पर आधारित है. हमारी तकदीर और असफलताएं आपसी सहयोग पर निर्भर करती है. कोई भी राष्ट्र अकेले खुद को आकार नहीं दे सकता, न ही खुद को सुरक्ष‍ित रख सकता है. ये दुनिया आपसी सहयोग से आगे बढ़ने की है. क्‍या ये मुमकिन है? हां, ये मुमकिन है. मैं आसियान को उदाहरण के तौर पर देखता हूं.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत का दृष्टिकोण सकारात्मक है. भारत एक मुक्त, खुला, समावेशी इंडो-पैसेफिक क्षेत्र के साथ खड़ा है. जो हमें प्रगति और समृद्धि की ओर साथ ले चले. हम सभी को समुद्र का बिना भेदभाव के सामान्य तरीके से उपयोग कर लाभ उठाने का अधिकार होना चाहिए.’

मोदी ने कहा, ‘सुरक्षा की दीवारों के पीछे समाधान नहीं मिल सकते हैं. भारत खुले और स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के साथ खड़ा है. प्रतियोगिता सामान्य है, लेकिन प्रतियोगिताएं संघर्ष में नहीं बदलनी चाहिए. मतभेद कभी विवाद में नहीं बदलने चाहिए. जब हम एक साथ काम करेंगे तो हम अपने समय की वास्तविक चुनौतियों को पूरा करने में सक्षम होंगे. इतिहास में कई बुरे सबक मिले हैं. साथ ही ज्ञान का मार्ग भी मिला है.’

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