सिंधु घाटी से लेकर माया संस्कृति तक में आदि देव गणेश पूजा के प्रमाण
ज्योतिष : सर्वविदित है कि किसी भी शुभ कार्य में प्रथम पूजन भगवान गणेश की होती है, गणेश अनादि हैं। इतिहास में भी इसके साक्ष्य हैं। भगवान गणेश की पूजा के प्रमाण आज से हजारों—हजार साल पहले से मिलने लगते हैं। वे अलग-अलग रूपों में विभिन्न संस्कृतियों में हैं। जापान में उन्हें कांगीतेन कहा जाता है। चीन, अफगानिस्तान, ईरान, और मैक्सिको की माया संस्कृति तक में गणेश की मूर्तियां मिली हैं।
चीन के मोगाओ गुफा में भी गणेश की छठी शताब्दी की पेटिंग मिलती है। यह बौद्ध गुफा है। इसमें बौद्ध धर्म से संबंधित हजारों चित्र हैं। इस गुफा के 25 किमी के दायरे में 492 मंदिर हैं। माना जाता है कि बौद्ध धर्म ने ही यहां गणेश पूजा शुरू की। चीन से ही गणपति जापान भी पहुंचे। यही वजह है कि जापान में 1200 साल पुरानी गणेश प्रतिमा और चित्र मिले हैं। पांच अवतारों में गणेशजी का वाहन मूषक है। गजाननावतार में वे लोभासुर, स्कंदावतार में मदासुर, महोदरावतार में मोहासुर, लंबोदरावतार में क्रोधासुर और धूम्रवर्णावतार में वे अभिमान असुर का वध करते हैं। वक्रतुंडावतार में वाहन शेर हैं। वे मत्सरासुर का वध करते हैं।