सिगरेट और शराब स्वास्थ्य के सबसे बड़े दुश्मन : प्रो. भट्ट
लखनऊ : सिगरेट और शराब स्वास्थ्य के सबसे बड़े दुश्मन हैं। स्वस्थ रहने की जिम्मेदारी स्वयं की है इसलिये स्वस्थ रहने के लिये आरामतलब एवं आलसी जीवन को छोड़कर प्राकृतिक जीवन, व्यायाम नियमित दिनचर्या एवं संतुलित खान-पान अपनाना चाहिए। यह विचार किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने आरोग्य भारती, अवध प्रान्त के तत्वावधान में बाबा हास्पिटल, मटियारी में स्वस्थ जीवन शैली विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। इसके पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर एवं भगवान धनवन्तरि एवं डा. हनिमैन के चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया। प्रो. भट्ट ने कहा कि हरि को स्वस्थ रहने के लिये प्रतिदिन कम से कम दस हजार कदम अवश्य चलना चाहिए तथा 10-20 मिनट की एक्टिविटी ऐसी होनी चाहिए जिससे की पसीना निकले। उन्होंने कहा कि कोई काम लेट कर मत करिये और यदि कोई काम बैठकर कर सकते हैं तो खड़े होकर करिये और यदि खड़े होकर कर सकते हैं तो दौड़कर करिये। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 4 से 5 लीटर पानी अवश्यक पीना चाहिए। प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पानी सर्वोत्तम है।
उन्होंने कहा कि सिगरेट और शराब स्वस्थ के सबसे बड़े दुश्मन हैं, इसलिये इनका सेवन किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य रहने के लिये स्वच्छता सबसे जरूरी है। स्वच्छ शरीर, स्वच्छ स्थान, स्वच्छ भोजन, स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ पानी निरोग रहने के लिये जरूरी है। इस अवसर पर केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के वरिष्ठ सदस्य डा. अनुरूद्ध वर्मा ने कहा कि आपाधापी की पश्चिमी जीवन शैली कथित माडर्नफूड, पिज्जा, वर्गर, चाऊमीन, मैगी आदि मैदे से बनी चीजें बीमारियों की जड़ हैं । इसलिये इनके बजाय प्राकृतिक भोजन, पेय पदार्थ, सब्जियां एवं फल प्रयोग करना लाभदायक है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य रहने के लिये जल्दी सोना एवं जल्दी जागना चाहिए तथा कम से कम 6-7 घंटे की गहरी नींद अवश्य लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिक भोजन से अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि माताओं को अपने बच्चों को स्तनपान अवश्य कराना चाहिए। इससे मां भी स्वस्थ रहती है और बच्चा भी अनेक बीमारियों से सुरक्षित हो जाता है।
आरोग्य भारती के सचिव डा. अभय नारायन तिवारी ने कहा कि स्वस्थ्य रहने के लिये व्यायाम, प्राणायाम एवं ध्यान लगाना आवश्यक है। आरोग्य भारती के संगठन मंत्री डा. आरपी साहू ने बताया कि आरोग्य भारती लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न कर निरोग रहने का तरीका बताती है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए आरोग्य भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व निदेशक होम्योपैथी प्रो. बी.एन. सिंह ने कहा कि आचार-विचार, आहार, व्यायाम का ध्यान रखते हुए स्वस्थ्य जीवन शैली को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि निरोग शरीर में स्वस्थ मष्तिष्क का विकास होता है।