पिछले कई समय से बढ़ रही वैश्विक गर्मी से कारण आर्कटिक महासागर का बर्फ पिगलने लगा है। जिसके कारण सितंबर के दौरान मध्य भारत में काफी भरी मात्र में बारिश हो ऐसे आसार देखे जा रहे है। एक रिपोर्ट में हुये दावों के अनुसार साल 1979 के सेटेलाइट रिकॉर्ड के मुताबिक आर्कटिक महासागर का बर्फ हर साल 4.4 प्रतिशत पिगल रहा है।
हालांकि अभी तक नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च द्वारा (NCPOOR) हुये इस संशोधन में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि बर्फ के पिगलने से उष्णकटिबंध वाले इलाके में किस तरह से उसका प्रभाव होगा। वैज्ञानिको के अनुसार, बर्फ पिगलने से उत्तर और पश्चिम यूरोप में उच्च दबाव आ सकते है। देर से शुरू होने वाले बारिश के सीजन में बर्फ पिगलने के कारण ही भारी बारिश होती है।
NCPOOR के वैज्ञानिक सौरव चेटर्जी ने कहा कि आर्कटिक महासागर के कुछ हिस्सों में गर्मी होने के कारण बर्फ पिगल रही है। गर्मी के दौरान गरम हवा कि गति बढ़ जाती है। जिसके कारण ऊपर के स्तर कि हवा में बदलाव आता है। इस बदलाव के कारण अरब सागर के तापमान में इजाफा देखने मिल सकता है। यही कारण है कि अगस्त और सितंबर के दौरान अतिभारी बारिश देखने मिल सकती है।