देहरादून : देव भूमि उत्तराखंड के रुडक़ी के चुडिय़ाला गांव में प्राचीन और अनोखा मंदिर सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी का है। जहां भक्त चोरी करते हैं, और इसके पीछे क्या रहस्य है। कई सदियों पहले यहा संतान विहीन राजा शिकार करने इस जंगल में आये थे। उन्हें यहा मां की पिंडी के दर्शन हुए। राजा ने पिंडी को नमन कर पुत्र प्राप्ति की विनती की। मां ने उनकी विनती स्वीकार कर ली। राजा को कुछ महीने बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उन्होंने यहा मां का भव्य मंदिर बनवाया। इस मंदिर में पुत्र की चाह रखने वाले पति पत्नी आते हैं और मां के सामने शीश झुकाते हैं। माता के चरणों में एक लकड़ी का गुड्डा रखा रहता है जिसे दंपति को चुराना होता है।
दर्शन करने के बाद दंपति को इस गुड्डे को अपने साथ घर ले जाना होता है। पुत्र प्राप्ति होने के बाद दंपति को अपने पुत्र के साथ यहा आकर भंडारा करना होता है और साथ ही लकड़ी का गुड्डा चढ़ाना होता है। मां सती के अंग और आभूषण जिस जिस जगह गिरे वहां शक्तिशाली शक्तिपीठों की स्थापना हुई है। मान्यता है की इस मंदिर की जगह पर मां सती का चूड़ा गिरा था। अत: इस मंदिर का नाम चूड़ामणि देवी मंदिर रखा गया है। यह अति प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। नवरात्रि पर यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। माता चूड़ामणि अनन्य भक्त बाबा बनखंडी की मंदिर परिसर में ही समाधि स्थल बना हुआ है। उन्होंने अपने जीवन के कई साल मां की सेवा और भक्ति में बिताए थे, सन 1909 में उन्होंने इसी मंदिर में समाधि ली थी। यहां आने वाले श्रद्दालु माथा टेकना हीं भूलते।