सियाचीन के जवानों की जान इसरो की नई खोज से बचेगी
एजेन्सी/तिरुअनंतपुरम|ISRO ने दुविया सबसे हल्का इंसुलेटिंग मटेरियल इजात कर लिया है। साथ ही शक्तिशाली खोजी और बचाव तकनीक भी विकसित कर ली है। अब इस तकनीक का इस्तेमाल सियाचीन में तैनात जवानों के लिए किया जाएगा।
उम्मीद की जा रही है कि इसरो की इस नई तकनीक से दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचीन में तैनात भारतीय जवानों को बचाने में मदद मिल सकेगी।
रक्षा मंत्रालय के आकड़ों के मुताबिक पिछले 3 सालों में 41 जवान अपनी जान सियाचीन के ग्लैशियर में गंवा चुके हैं। 1984 से अभी तक लगभग 1000 जवानों की मौत सियाचीन में हो चुकी है।
जिनमें सिर्फ 220 ही युद्ध में शहीद हुए हैं। बाकी सभी सियाचीन के जानलेवा मौसम के शिकार हुए हैं। साफ है 7000 मीटर की ऊंचाई पर दुश्मन से ज्यादा खतरा मौसम से है।
पिछले कुछ समय में कई बार जवान सियाचीन में मौसमी आपदा का शिकार हुए हैं। शहीद हनमनथप्पा 6 दिन बर्फ के नीचे दबे रहे थे जिसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी