अद्धयात्म

सिर्फ इस मंदिर में ही पत्नी संग विराजमान हैं शनिदेव, जोड़े से ही की जाती है पूजा

देशभर में यूं तो शनिदेव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के करियाआमा गांव के घने जंगलों में शनिदेव का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां शनिदेव की उनकी पत्नी देवी स्वामिनी के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.

मैकल पर्वत से घिरा, जंगल के बीच और संकरी नदी के किनारे स्थापित इस शनि देवालय का दृश्य अत्यंत सुंदर है. इस मंदिर को देश का एकमात्र सपत्नीक शनिदेवालय का दर्जा मिला है, बाकी स्थानों पर शनिदेव की अकेली प्रतिमा ही स्थापित हैं.

करियाआमा गांव में स्थित शनिदेव मंदिर

यह शनि मंदिर इसलिए भी फेमस है क्योंकि यहां पति-पत्नी दोनों एक साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं, जबकि देश के सबसे प्राचीन शनि मंदिरों में से एक शनि शिंगणापुर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.

शनिदेव की यह प्रतिमा पांडवकालीन बताई जाती है. ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यानी इस बार 4 जून को भगवान शनिदेव की जयंती मनाई जाएगी. इसे लेकर करियाआमा में भी विशेष तैयारी की गई है.

प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक, कवर्धा जिला मुख्यालय से भोरमदेव मार्ग पर करीब 20 किलोमीटर दूर करियाआमा गांव में स्थित शनिदेव का यह मंदिर पूर्वकालीन है. ऐसा माना जाता है कि वनवास काल के दौरान पांडवों ने कुछ समय भोरमदेव के आसपास जंगल में भी बिताया था और तभी इसकी स्थापना की गई थी.

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