सीआरपीएफ ने की बड़ी कार्रवाई : 500 माओवादी समर्थक पकड़े गये
रायपुर : विभिन्न राज्यों में माओवादी समर्थकों के खिलाफ पहली बार संयुक्त कार्रवाई शुरू की गई तथा पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने ऐसे करीब 500 लोगों को पकड़ा है। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक आर आर भटनागर ने एक इंटरव्यू में कहा कि वामपंथी उग्रवादियों को पांव पसारने से रोकने तथा उनका खात्मा करने के मकसद से वे राज्य पुलिस बल के साथ मिलकर ताजा कार्रवाई कर रहे हैं। सीआरपीएफ ने देश के विभिन्न राज्यों में उग्रवाद से निपटने के लिए एक लाख सशस्त्र जवानों को तैनात किया है तथा हथियारों एवं गैजेट का भारी जखीरा भेजा है। महानिदेशक ने कहा, हम गांवों में जा रहे हैं और हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि माआवोदियों के समर्थकों, कार्यकर्ताओं, ‘जन मिलिशिया’ और उन्हें खुफिया तथा स्थानीय सहयोग देने वाले अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। हम स्थानीय पुलिस के साथ काम कर रहे हैं और हम देख रहे हैं कि जिन लोगों की पहचान की गई है चाहे वे ‘जन मिलिशिया’ हो या विभिन्न मामलों में वांछित हो, उन्हें पुलिस पकड़े।
छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल में हमारे जवानों की मदद से 500 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें मिलने वाला सहयोग भी कम हो।छत्तीसगढ़ में विशेष अभियान दल का नेतृत्व कर रहे एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि जो भी लोग नक्सलियों को सुरक्षाबलों पर हमला करने की साजिश रचने, सहायता करने और उसे अंजाम देने में मदद करते पाए गए वे पहले से ही उनकी रडार पर थे और ऐसे लोगों पर नजर रखी गई तथा उन्हें नई रणनीति के तहत पकड़ा गया। भारतीय पुलिस सेवा के 1983 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी भटनागर ने कहा कि अर्द्धसैन्य बल महत्वपूर्ण नक्सली इलाके में धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है तथा उसने छत्तीसगढ़ में दक्षिण बस्तर के बेहद सघन और दुर्गम जंगलों में कम से कम 15 नए शिविर लगाए हैं। उन्होंने कहा, अगर आप इस साल आंकड़ों की बात करें तो विभिन्न राज्यों में 160 नक्सली मारे गए हैं और झारखंड के बाद छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा माओवादी रोधी अभियान चलाए गए। भटनागर ने छत्तीसगढ़ के सुकमा में दो बड़े हमलों के बाद पिछले साल अप्रैल में कार्यभार संभाला था। इन हमलों में 37 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।
उन्होंने कहा, हमने आईईडी का पता लगाने और यूएवी कवरेज, नाइट विजन यंत्रों, पीटीजेड जैसे कैमरों के लिहाज से नई तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है, ताकि न केवल शिविरों की सुरक्षा की जा सके बल्कि सड़कों पर भी नजर रखी जा सके। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि नक्सलियों के कब्जे वाले इलाकों की संख्या में कमी आई है और पिछले कुछ वर्षों में वामपंथी उग्रवादियों की हिंसा की घटनाओं में 40 फीसदी की गिरावट आई है। भटनागर ने कहा, पश्चिम बंगाल में सीमा पर कुछ इलाकों को छोड़कर उग्रवादियों को खदेड़ा जा चुका है। तेलंगाना में काफी सफलता मिली है और अब छत्तीसगढ़ सीमा के करीब भी नक्सल गतिविधियां बहुत कम हो गई है।